कैसा रहा राजस्थान का पहला कृषि बजट और क्यों नहीं हैं किसान संगठन खुश?
राजस्थान की जीडीपी में कृषि का योगदान 30 प्रतिशत है, लेकिन बजट आवंटन 5.92% ही किया गया है, इसलिए किसान संगठन खुश नहीं हैं
सीएसई की रिपोर्ट : प्राकृतिक खेती का मतलब समग्र लाभ, सरकार ने अपनी ही रिपोर्ट्स को अनदेखा किया
जैविक खेती के फायदों वाली अपनी रिपोर्ट को वर्षों तक सरकार ने अनदेखी की है। सीएसई ने तमाम शोधपत्रों के परिणामों में पाया कि ...
2017 में प्रतिदिन 29 किसानों/कृषि श्रमिकों ने आत्महत्या की
एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 में कृषि क्षेत्र में 10,655 आत्महत्या हुई जो 2016 से कम है
“इस किसान वैज्ञानिक को कब मिलेगा न्याय?”
जमीनी स्तर पर विज्ञान व तकनीक को प्रोत्साहित करने की बात तो बहुत की जाती है, पर हकीकत यह है कि ग्रामीण प्रतिभाओं के ...
किसानों पर मंडराती आसमानी आफत
2019 में टिड्डियों ने करीब 200 से भी ज्यादा बार हमला किया है| आइये जानते हैं कि क्या जलवायु में आ रहे बदलाव से ...
बिहार में भी टिड्डी दल के हमले का खतरा, किसान चिंतित
बिहार के आधा दर्जन जिले उत्तर प्रदेश से सटे हुए हैं, ऐसे में आशंका है कि अगर टिड्डी दल पूरब की तरफ बढ़ता है, ...
परंपरागत खेती से नहीं होगा भला
देश में कृषि और कृषि शिक्षा की दशा की पड़ताल करती सीरीज में प्रस्तुत है गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति तेज प्रताप का ...
अधिक उत्पादकता वाले फसल क्षेत्रों की पहचान के लिए नई पद्धति
इन क्षेत्रों में मिट्टी एवं जलवायु के अनुकूल फसलों की खेती की जा सकेगी, जिससे अधिक पैदावार और बेहतर मुनाफा मिल सकता है
फसलों के लिए खतरा बन रहा है नया प्रवासी कीट
स्पीडओप्टेरा फ्रूजाइपेर्डा प्रजाति का यह कीट भारतीय मूल का नहीं है और इससे पहले भारत में इसे नहीं देखा गया है
सिकिया पर संकट
बैगा आदिवासियों के भोजन का अभिन्न अंग रहा सिकिया अनाज क्या अपनी पुरानी रंगत में लौट पाएगा?
बर्बाद होता “खजाना”
गोवा में सरकार और स्थानीय समुदाय की उपेक्षा शुरू होने के साथ ही खजाना भूमि के लिए खतरा बढ़ता गया। यह भूमि तथाकथित विकास ...
महत्व खोती महत्वाकांक्षी योजना
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खरीफ 2016 में शुरू की गई थी। फसल के चार मौसम बीत चुके हैं। योजना में किसानों का नामांकन अब ...
खौफजदा शरणार्थी चेहरों पर उम्मीद जगाता श्रीलंकाई “सिंघम”
जाफना में जन्मे के. रत्नराज सिंघम ने हजारों तमिल शरणार्थियों की आर्थिक मजबूती के प्रयास किए हैं। स्पीरूलिना की खेती के जरिए वह तमिल ...
शिक्षा और स्वास्थ्य सेस 3 से 4 प्रतिशत किया जाएगा : जेटली
2013-14 राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.4 प्रतिशत था। 2016-17 में यह घटकर 3.5 प्रतिशत पर आ गया है। 2018-19 में इसके 3.3 प्रतिशत रहने ...
"अगर सरकार गंभीर हो तो सामूहिक खेती भारतीय कृषि को बदल सकती है"
डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स एंड एनवॉयरमेंट, यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर में प्रोफेसर बीना अग्रवाल का कहना है कि सामूहिक खेती छोटे किसानों की उत्पादन समस्याओं को हल ...
जीएम सरसों को मंजूरी देने की सिफारिश, केंद्र करेगा फैसला
जीएम सरसों का विरोध कर रहे विशेषज्ञों का कहना है कि जैव सुरक्षा तंत्र की अनदेखी करके जीईएसी द्वारा सिफारिश की गई है
छुट्टा मवेशियों से तंग आकर मध्य प्रदेश में खेती छोड़ रहे हैं किसान
मध्य प्रदेश के आधा दर्जन से अधिक जिलों के ग्रामीण इलाकों में छुट्टा जानवरों से परेशान किसान तेजी से अपने खेतों में फसलें ही ...
पराली का अर्थशास्त्र
बिजली उत्पादन में कोयले के विकल्प के रूप में पराली का उपयोग किया जा सकता है लेकिन किसान इसके लाभकारी मूल्य से वंचित हैं
क्या जादुई चावल के बारे में जानते हैं आप?
पांच दशक पहले धान की एक किस्म विकसित की गई, जिसने भारत सहित कई देशों की भुखमरी दूर कर दी
जरूरत से तीन गुना ज्यादा है देश में अनाज का उत्पादन
डाउन टू अर्थ ने कृषि व कृषि शिक्षा की दशा पर देशव्यापी पड़ताल की। प्रस्तुत है, इस सीरीज की दूसरी कड़ी में सेंटर फॉर ...
वैज्ञानिकों ने जानवरों की इन बीमारियों का कारण खोजा
भारतीय वैज्ञानिकों ने पशुओं में होने वाले खुरपका व मुंहपका रोग के विषाणु के फैलने के लिए जिम्मेदार आनुवांशिक और पारिस्थितिकी कारकों का पता ...
विटामिन-ए का भंडार है पूर्वोत्तर का खीरा
नारंगी-गूदे वाले खीरे की किस्में कैरोटीनॉयड सामग्री (प्रो-विटामिन-ए) के मामले में चार से पांच गुना अधिक समृद्ध होती हैं
अब आएगा बौनी कतरनी चावल, किसान हर जगह करेंगे खेती
सरकार के प्रयास से अब जीआई टैग होने के कारण इसकी खेती की पहचान करने में आसानी हो रही है।
मौसमी बदलाव से 25 से 40 फीसदी तक गिरा बिहार में शहद का उत्पादन
सरसों के मौसम में हर साल जिन शहद के बक्सों में 10 किलो तक शहद मिलता था, वह अब दो से छह किलो तक ...
क्यों जरूरी है खेतों तक बिजली पहुंचना?
पिछले कुछ सालों में बिजली की खपत का गलत अनुमान और अलक्षित सोच के चलते पावर सेक्टर की दशा खराब हुई है