नए युग में धरती: वर्तमान और भूतकाल
एंथ्रोपोसीन की परिकल्पना अपने पथरीले जन्मस्थान से निकलकर सांस्कृतिक और राजनैतिक बहस के खुले आकाश का हिस्सा बन चुकी है
नए युग में धरती: नष्ट हो चुका है प्रकृति का मूल चरित्र
क्या वह समय आ गया है कि हम विकास की इस अंधी दौड़ से निकलकर अपनी आकांक्षाओं पर लगाम लगाएं और संवहनीय जीवन जिएं?
नए युग में धरती : कहानी हमारे अत्याचारों की
मौजूदा समय को भले ही हम कलयुग का नाम दें लेकिन वैज्ञानिक भाषा में इसे मानव युग यानी एंथ्रोपोसीन कहा जा रहा है। यह ...
एन्थ्रोपोसीन: मानव युग की प्रस्तावना
एन्थ्रोपोसीन यानी मानव युग, मुनष्य और प्रकृति के बीच बढ़ते अलगाव को प्रदर्शित करता है
24 घंटे में 19 सेकेंड के बराबर है धरती पर मनुष्य की मौजूदगी
पृथ्वी के इतिहास में पहली बार केवल एक प्रजाति पूरे ग्रह को रूपांतरित कर रही है
मानव के सर्वशक्तिमान होने का भ्रम तोड़ रही हैं प्राकृतिक आपदाएं: अमिताभ घोष
बढ़ रही प्राकृतिक आपदाओं को लेकर ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित लेखक अमिताव घोष से विशेष बातचीत
प्रकृति नहीं, इंसान की देन है बॉयलर चिकन
हमने बॉयलर चिकन के जीन को बदलकर उनके चयापचय को नियंत्रित करने वाले रिसेप्टर को म्यूटेट कर दिया है
जंगल कटने से बढ़ जाता है पानी का बहाव: शोध
जंगल के प्राकृतिक जलाशयों के साल भर में बहने की गति या प्रवाह को वन 0.7 से 65.1 फीसदी तक कम कर सकते हैं।
नए युग में धरती: अब तक पांच बार हो चुका है महाविनाश
शुरुआती विलुप्तियां और जीवाश्म रिकॉर्ड बताते हैं कि एक प्रजाति करीब 10 लाख वर्षों में खत्म हो जाती है
1950 से बढ़ती ऊर्जा खपत ने पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया
18 वैज्ञानिकों ने एक समूह ने 1950 से लेकर अब तक हुई ऊर्जा खपत का विश्लेषण किया है
जानिए अंटार्कटिका के ऊपर क्यों दिखाई दिया ओजोन छिद्र
1980 के मध्य में अंटार्कटिक ओजोन परत के गंभीर रूप से कमजोर होने का मामला पहली बार सामने आया था।
प्रकृति से ऊपर नहीं इंसान, स्वयं को प्रकृति के हिस्से के रूप में देखने की है जरूरत
पर्यावरण की बहाली और वन्यजीवों की रक्षा के लिए इंसान को प्रकृति के साथ अपने बिगड़ते रिश्तों को सुधारने की जरूरत है