मानव-वन्यजीव संघर्ष पर किस तरह लग सकती है लगाम, कौन से जानवर होते हैं सबसे सक्रिय: अध्ययन
अध्ययन के निष्कर्ष वन्यजीवों पर लोगों के शोरगुल के हानिकारक प्रभावों को कम करने के उपायों के महत्व को उजागर करते हैं
उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन, अभी सात जिलों में 18 से 44 आयु वर्ग का वैक्सीनेशन हफ्ते में दो दिन
कोविड-19: बिना लक्षण वाले लोगों को क्वारंटीन सेंटरों में नजरबंद करना ठीक नहीं: हाई कोर्ट
पर्यावरण मुकदमों की डायरी: जानें, अलग-अलग अदालतों में क्या हुआ
कोरोनावायरस का असर : 2.5 करोड़ बेरोजगार, 4 करोड़ गरीब, 13 करोड़ भुखमरी के शिकार
पर्यावरण की दशा-दिशा 2020: कोरोनावायरस की वजह से साल 2020 भारत को काफी जख्म दे जाएगा
पलायन की पीड़ा-3: क्यों इन राज्यों से होता है सबसे ज्यादा पलायन
देश के 75 जिले हैं, जहां से सबसे अधिक पलायन होता है, लेकिन क्यों...
गुजरात के सूरत शहर से फिर क्यों लौट रहे हैं प्रवासी मजदूर
गुजरात के अहमदाबाद और सूरत शहर में एक बार फिर से कोरोनावायरस संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं
लॉकडाउन का असर मध्यप्रदेश के नवजात बच्चों पर भी, संस्थागत प्रसव में कमी
मध्यप्रदेश के सुदूर आदिवासी इलाकों में कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से संस्थागत प्रसव, टीकाकरण और महिलाओं को मिलने वाले पोषण आहार में कमी आई ...
दुनिया में 80 साल की सबसे बड़ी आर्थिक मंदी, गरीबों को तुरंत संरक्षण मिले: विश्व बैंक
विश्व बैंक ने “ग्लोबल इकोनॉमी प्रॉसपेक्ट्स एनॉलिसिस” रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 की वजह से उत्पन्न मंदी 2009 की मंदी से कहीं अधिक ...
पथ का साथी: जिनके लिए बरसों काम किया, उन्होंने भी नहीं दिया साथ
डाउन टू अर्थ हिंदी के रिपोर्टर विवेक मिश्रा 16 मई 2020 से प्रवासी मजदूरों के साथ ही पैदल चल रहे हैं। पढ़ें, उनके साथ ...
प्रवासी मजदूरों का मददगार बना एकता परिषद
एकता परिषद 20 राज्यों के लगभग 45 हजार मजदूरों की सूची तैयार कर उन्हें गंतव्य तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकारों के साथ बातचीत ...
सरकार और आढ़तियों की लड़ाई में फंसे हरियाणा के किसान
हरियाणा में 23 अप्रैल की शाम तक करीब 20 हजार किसानों ने तीन लाख मीट्रिक टन गेहूं की बिक्री की है
गुजरात लॉकडाउन: प्रवासी मजदूरों को भुखमरी से बचाने आगे आए सामाजिक संगठन
गुजरात भवन एवं अन्य निर्माण मजदूर कल्याण बोर्ड के पास लगभ्ज्ञग 2900 करोड़ रुपए का फंड है। इसमें से मजदूरों को एक-एक हजार रुपए ...
उत्तराखंड में रिवर्स माइग्रेशन: रोल मॉडल तैयार करे राज्य सरकार
दुखद बात यह है कि अलग राज्य बनने के बाद उत्तराखंड में पहाड़ों से पलायन और तेजी से बढ़ा
गरीब तक अन्न पहुंचने में लग रहा है एक पखवाड़ा
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत गरीब परिवारों को राशन देने की घोषणा की गई थी
कोरोनावायरस ने बढ़ाई बेरोजगारी, जानें अपने राज्य का हाल
अप्रैल 2020 में भारत के 11 राज्यों में बेरोजगारी दर 20 फीसदी से अधिक रही
कैश के लिए किसानों की मजबूरी बने खुले बाजार, चिंता में डूबे यूपी-बंगाल के कोल्डस्टोर मालिक
यूपी में 2,000 कोल्ड स्टोरेज हैं जिनमें अभी तक 50 फ़ीसदी ही आलू पहुंच पाया है
धान की सीधी बुआई कर रहे किसान इन बातों का रखें ध्यान
कोरोनावायरस और लॉकडाउन की वजह से धान की रोपाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं, इसलिए किसान सीधी बुआई कर रहे हैं
कैसी होगी कोविड-19 के बाद दुनिया-2: ध्वस्त होती अर्थव्यवस्थाएं
कोविड-19 के कारण जो स्पष्ट हो रहा है वह यह है कि बाजारों के बारे में हमारी धारणाएं कितनी झूठी हैं
उत्तराखंड: पलायन आयोग की रिपोर्टों से हासिल क्या होगा?
पलायन आयोग ने 16 जून की शाम टिहरी पर अपनी रिपोर्ट पेश की। इससे पहले पौड़ी, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा पर आयोग अपनी रिपोर्ट दे ...
काश! न्याय की रक्षा स्वयं सरकारें करतीं...
सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवासी श्रमिकों को 15 दिन भीतर उनके घर भेजने और उनके खिलाफ मुकदमों पर विचार करने को कहा है
कोविड-19: क्या पहाड़ लौट रहे लोगों को रोक पाएगी चकबंदी?
21 मई को उत्तराखंड पर्वतीय जोत चकबंदी एवं भूमि व्यवस्था नियमावली 2020 को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है
कोविड-19: लॉकडाउन ने बिगाड़ी ग्रामीण भारत की दशा
कोरोनावायरस संक्रमण को रोकने में देश भर में एक साथ किए लॉकडाउन के बाद ग्रामीण भारत की दशा की पड़ताल करती एक बड़ी रिपोर्ट-
बिहार की 1.30 करोड़ आबादी को खाने के लाले: ज्यां द्रेज
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे पत्र में ज्यां ने कहा है कि 30 प्रतिशत आबादी की पहुंच सरकारी राशन दुकानों तक नहीं है
लॉकडाउन ने बदली इस गांव की तस्वीर
लॉकडाउन के दौरान ग्रामीणों ने मनरेगा योजना के तहत एक तालाब बना दिया, जिससे खेतों की सिंचाई और मवेशियों को पीने का पानी मिल ...
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की जरूरत ही क्यों पड़ी?
गरीब कल्याण अन्न योजना: सरकार दावा करती रही है कि देश में गरीबी कम हो रही है तो फिर 80 करोड़ गरीब कहां से ...