जग बीती: चांस क्यों लेना?
जग बीती: लोकतंत्र की जीत!
बैठे ठाले: एक रुका हुआ फैसला
हमसे मत पूछो कैसे/ मंदिर टूटा सपनों का/ लोगों की बात नहीं है/ ये किस्सा है अपनों का...
जग बीती: हम भारत के लोग...
जग बीती : काम चालू आहे
जग बीती : एक बंगला बने न्यारा
जग बीती : निगेटिव न फैलाओ कुछ नहीं है
बिहार चुनाव में कितने प्रभावी रहे गरीबी और रोजगार के मुद्दे?
आज तय होगा कि बिहार के लोगों ने रोजगार, गरीबी जैसे मुद्दे को कितनी गंभीरता से लिया है
जग बीती: पृथ्वी दिवस
जनसंख्या नियंत्रण कानून: क्यों हो रही है राजनीति
हर बार ही यह एक विशेष आबादी होती है, जिसे कम करने की आवश्यकता होती है
जग बीती: रामबाण इलाज
बिहार सरकार का ग्रीन बजट 2020-21: कितना है ग्रीन?
बिहार विधानसभा में राज्य का बजट 2020-21 पेश किया गया, जिसे ग्रीन बजट नाम दिया गया है
क्या आप जानते हैं विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के बारे में, इसमें क्या-क्या शामिल होता है?
एक बेहतर भविष्य बनाने के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार कल के युवाओं की मदद कर सकते हैं
गांधी-दर्शन के अनुशासित सिपाही थे विमल भाई
साठ साल के विमल भाई ने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली।
एक श्रद्धांजलि- शीतला सिंह, सहकारिता को बनाया था पत्रकारिता का आधार
“जन” के मोर्चे पर आखिरी सांस तक डटा रहा पत्रकार
गरीबों के नाम रहेगा 2020
नए साल में देश में गहराई से जड़ें जमा चुकी असमानता फिर चर्चा में आएगी
उज्जवल भविष्य की चाह में गुम होती जिंदगियां: 2023 प्रवासियों के लिए रहा सबसे घातक, 8,565 लोगों ने गंवाई जान
रिपोर्ट के अनुसार 2022 की तुलना में देखें तो 2023 में प्रवासन के दौरान मरने वालों के आंकड़ों में 20 फीसदी की वृद्धि आई ...
विश्व के ढाई करोड़ से अधिक शराणार्थियों के पास आसरा नहीं
शराणार्थियों की स्थिति दिन-ब-दिन भयावह होती जा रही है
उत्तराखंड के लिए कितना फायदेमंद साबित होगा जीईपी?
उत्तराखंड में जीडीपी की तरह जीईपी का आकलन करने का निर्णय लिया गया है
जल, ऊर्जा और भूमि को वैश्वीकरण ने पहुंचाया नुकसान: अध्ययन
जो देश व्यापार पर अत्यधिक निर्भर हैं, उनके संसाधन उतने ही अधिक खतरे में हैं
विश्व हिंदी दिवस 2024: हम इसे क्यों मनाते हैं? जानिए तिथि, इतिहास और महत्व
मंदारिन, चीनी और अंग्रेजी के साथ हिंदी दुनिया भर में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है
अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस आज, सभी के लिए स्वास्थ्य के बिना कोई सम्मान, स्वतंत्रता और न्याय नहीं हो सकता
10 दिसंबर 2023 को मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा की 75वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी।
2030 तक खत्म होने की बजाय दोगुनी हो जाएगी गरीबी
गरीबी उप सहारा अफ्रीका और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी पैठ बना चुकी है
कार्ल मार्क्स: पर्यावरण पर कही गई उनकी बातें, आज भी काम की हैं
पर्यावरण पर कार्ल मार्क्स के यादगार बयानों का एक संक्षिप्त संकलन
नजरिया: जीवन शैली में परिवर्तन से ही बच सकती है हमारी धरती, वर्ना विनाश तय
पर्यावरणीय संरक्षण और सतत विकास के लिए जीवन शैली में परिवर्तन जरूरी हो गया है