जग बीती: सुरक्षा एवं रोजगार
मनरेगा: गांवों को खेतों से जोड़ने के लिए बनाए पक्के रास्ते
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने गांव को शहरों से जोड़ा तो राजस्थान में मनरेगा ने ग्रेवल रोड (मिट्टी, कठोर मिट्टी और गिट्टी) के माध्यम ...
अंतरिम बजट 2024: मनरेगा में आवंटित राशि से केवल 25 दिन का ही रोजगार मिल पाएगा!
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को अगले वित्त वर्ष में बकाया मजदूरी भी चुकानी है, जिसके बाद केवल 54,000 करोड़ रुपये उपयोग के ...
ग्रामीण संकट: फिर से बढ़ने लगी मनरेगा में काम मांगने वालों की तादाद
पिछले कुछ महीनों से आर्थिक गतिविधियों पर कोविड-19 की वजह से पाबंदियां घटने के बावजूद इस योजना में काम की मांग बढ़ी
मनरेगा मजदूरों का 1200 करोड़ रुपया फंसा, काम के बाद भी भुगतान रद्द
मनरेगा में मजदूरी करने के बाद भी आधार या बैंक खाते की जानकारी सही न होने के कारण भुगतान रद्द हो जाता है
छत्तीसगढ़ मनरेगा आयुक्त का आदेश, भुगतान में आ रही समस्याओं को करें दूर
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मनरेगा कितना कारगर साबित हो रहा है, यह जानने के लिए डाउन टू अर्थ ने पांच राज्यों की ...
मनरेगा: केवल 2 फीसदी परिवारों को मिला 100 दिन का काम
केंद्र से मिली राशि का लगभग 91 फीसदी खर्च हो चुका है और अब तक औसतन एक परिवार को 38 दिन का काम मिला ...
बिहार चुनाव: न मनरेगा, न गरीब कल्याण रोजगार योजना आई काम
बिहार के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है, जबकि पहले से लागू योजनाएं सिरे नहीं चढ़ पाई
मनरेगा से बने स्कूलों में खेल के मैदान
मनरेगा के तहत अजमेर सहित पांच जिलों में ग्रामीण अंचलों के स्कूलों में किक्रेट मैदान, बास्केटबाल कोर्ट और ट्रैक एंड फील्ड बनाए गए
जून के आखिरी सप्ताह में होगा संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन
सम्मेलन में महासागर में बढ़ते अम्लीकरण, प्रदूषण, अवैध तरीके से मछली पकड़ने और पर्यावासों व जैवविविधता को नुकसान पहुंचाने जैसे विषयों पर गंभीरता से ...
भारत में 2.3 फीसदी कर्मचारी ही हैं कुशल
नॉसकाम की रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियों को सफलता के लिए कार्यबल को उचित प्रशिक्षण और काम के प्रति प्रोत्साहित करने की ...
खेती किसानी छोड़ रहा है ग्रामीण भारत, आजीविका के लिए कहां जाएं किसान
ग्रामीण भारत अब कृषि पर निर्भरता कम करता जा रहा है, लेकिन क्या गैर कृषि क्षेत्र में उसके लिए संभावनाएं हैं
मनरेगा ने बदली सूरत
मनरेगा में काम की मांग इससे पहले कभी इतनी नहीं रही, जितनी कोरोना वायरस आपदा के दौरान रही है
मनरेगा: लॉकडाउन में 1.55 करोड़ लोगों को नहीं मिला काम, नहीं मिला कोरोना राहत पैकेज
स्वयंसेवी संगठन पीपुल्स एक्शन फॉर इम्प्लायमेंट जनरेशन गारंटी ने मनरेगा पर अपनी रिपोर्ट जारी की
उत्तराखंड में मनरेगा-2: लॉकडाउन में ढाई गुणा बढ़ी काम की मांग
लॉकडाउन के कारण लौटे प्रवासियों को जब मनरेगा के तहत काम करने को कहा गया तो राज्य में काम की मांग बढ़ गई
मनरेगा से दस साल में पहली बार जलमग्न होगा पुष्कर सरोवर
मनरेगा योजना के तहत राजस्थान के पारंपरिक जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है
चौथी औद्योगिक क्रांति नहीं हो रही है, लेकिन लोगों से इस पर चर्चा कराई जा रही है
भारत सहित दुनिया भर में चौथी औद्योगिक क्रांति का शोर है, लेकिन क्या यह शोर सही है
विश्व श्रमिक दिवस : श्रम और श्रमिक अधिकारों की प्रतीक्षा में तीसरी पीढ़ी
आज 178 बरस बाद भी समाज और सरकार, दावे के साथ नहीं कह सकती कि भारत में बंधुआ मज़दूरी अथवा वैसी परिस्थितियां समाप्त हो ...
शहर छोड़कर गांव जाने वाले कामगार लौटे, अब काम के लाले
असंगठित क्षेत्र के बहुत से कामगार लॉकडाउन के बाद अपने गांव चले थे लेकिन वहां काम न मिलने पर वापस लौटना पड़ा
संसद में आज: कुल 53 करोड़ में से असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे हैं 44 करोड़ श्रमिक
संसद में प्रश्नोत्तर सत्र में पूछे गए कुछ अहम सवालों के जवाब यहां जानें-
कोरोना की दूसरी लहर और मनरेगा-4: राजस्थान में इस बार मनरेगा नहीं बना मददगार
राजस्थान में केन्द्र सरकार पर मजदूरों के 87.62 करोड़ रुपए की मजदूरी बकाया है
अपना पूरा दिन कहां खर्च करते हैं भारतीय, एनएसओ ने जारी की सर्वे रिपोर्ट
एनएसओ ने पहली बार टाइम यूज इन इंडिया सर्वे रिपोर्ट जारी की है, जिसमें लोगों की दिनचर्या के बारे में जानकारी जुटाई गई है
उत्तराखंड में मनरेगा-1: प्रवासियों के लिए कितना फायदेमंद?
उत्तराखंड लौटे प्रवासियों को मनरेगा के तहत काम करने का न्यौता दिया गया, लेकिन क्या कहते हैं प्रवासी...
मनरेगा के साथ-साथ खेती में जुटे प्रवासी
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के गांवों से वही प्रवासी शहरों में लौटना चाहते हैं, जिनके पास खेती के लिए जमीन नहीं है
मनरेगा के बंद होने से रोजगार की तलाश में खाली हो रहे पश्चिम बंगाल के ‘भुतहा’ गांव
रोजगार के अवसरों में कमी के चलते पश्चिम बंगाल के ग्रामीण परिवार स्थाई तौर पर अपने घरों को छोड़ पलायन करने को मजबूर हैं