आखिर क्यों जल उठे पहाड़ के जंगल?
समग्रता से पहाड़ की पारिस्थितिकी को समझ कर, स्थानीय परम्परा और ज्ञान को शामिल कर मानव गतिविधियों को नियंत्रित कर पहाड़ के लिए ठोस ...
ओण दिवस: क्या है जंगलों को आग से बचाने का शीतलाखेत मॉडल?
पर्वतीय इलाकों में खेतों में उग आई झाड़ियों व खरपतवारों को काटकर सुखाकर जलाया जाता है। इसे प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में ओण, आड़ा ...
किसकी रक्षा कर रहे हैं वन कानून और विभाग?
156 साल से अंग्रेजों की रीतियों-नीतियों को ढो रहे वन विभाग से कई सवाल तो पूछने ही चाहिए
सालाना 50 फीसदी की दर से नष्ट हो रहे हैं पहाड़ी जंगल, खतरे में जैव विविधता: अध्ययन
दुनिया भर में, 2000 के बाद से 7.81 करोड़ हेक्टेयर यानी 7.1 फीसदी पहाड़ों के जंगल गायब हो गए हैं
ओडिशा के गंजम जिले के 38 गांवों को मिला “राजस्व” का दर्जा
ओडिशा राजस्व बोर्ड द्वारा किए गए अनुमोदन के बाद इन गांवों के छह हजार से ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाएं मिलने का रास्ता साफ हो ...
मध्यप्रदेश का 40 फीसदी जंगल निजी कंपनियों को देने का फैसला
मध्यप्रदेश सरकार ने बिगड़े वन क्षेत्र को दोबारा से घने जंगल में तब्दील करने के लिए निजी कंपनियों से हाथ मिलाने का निर्णय लिया ...
चिपको आंदोलन: आधी सदी के बाद किस हाल में हैं गौरा देवी की सहेलियां?
जंगल बचाने के लिए पेड़ों से चिपकने वाली गौरा देवी के साथ गई कुछ महिलाएं अभी भी गांव में हैं, जंगल के प्रति उनका ...
जैव विविधता (संशोधन) अधिनियम 2021: सरकार की मंशा और जन सरोकार
केंद्र सरकार जैव विविधता कानून में संशोधन करने जा रही है, इसके लिए संसद की संयुक्त समिति ने लोगों से आपत्तियां या सुझाव मांगे ...
दो साल में 87 विकास परियोजनाओं को मिली हरी झंडी; काटे जाएंगे 23 लाख पेड़
इन इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में से तीन हाईवे परियोजनाएं संरक्षित क्षेत्रों से होकर गुजरेंगी
जंगलों को महज कार्बन सिंक में बदलना जोखिम भरा, रिपोर्ट ने किया आगाह: आईयूएफआरओ
जंगलों की भूमिका को महज कार्बन जमा करने या कार्बन सिंक तक सीमित कर दिया गया है, जिससे पारिस्थितिकी और सामाजिक कल्याण से संबंधित ...
कॉप-26: वनों से भरपूर भारत ग्लासगो घोषणा-पत्र से पीछे क्यों हटा?
ग्लासगो घोषणा-पत्र के निर्णायक मसौदे में आधारभूत संरचनात्मक विकास संबंधी गतिविधियों को वन-संरक्षण से जोड़े जाने से भारत खुश नहीं है
जंगलों पर छाया जलवायु परिवर्तन का साया, पेड़ों से गायब हो रहे फल, पक्षियों ने छोड़ा उपवन
बारिश के पैटर्न में आते बदलाव से तितलियों की संख्या ही नहीं, उनकी विविधता और प्रवासी पक्षियों की उपस्थिति में भी कमी आई है