आदिवासियों पर ऐतिहासिक अन्यायों के अर्थ और अनर्थ
विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर भारत में आदिवासियों के साथ हो रहे अन्याय पर विशेष आलेख
संसद में आज: महाराष्ट्र के अलावा कहीं नहीं हुई प्रवासी श्रमिकों की मौत
सर्वेक्षण के अनुसार, बिहार में, महिला श्रमिकों की आबादी केवल 4 प्रतिशत है।
वन (सरंक्षण) संशोधन कानून 2023: देश के लिए वरदान या अभिशाप
सरंक्षण के नाम पर कानून की शक्तियों का केन्द्रीकरण किया जा रहा है। इसमें वही समुदायों को दूर किया जा रहा है, जो कि ...
लाहौल स्पीति: बिना एफआरए अनुमति के सरकारी इंजीनियर ने बना डाली अवैध सड़क
एनजीटी की समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि गेचा से हेलीपैड तक करीब 2.84 किलोमीटर लंबी सड़क के लिए जिला वन अधिकारी से ...
क्या 58 दिन में मिल जाएगा मध्य प्रदेश के सभी ग्राम सभाओं को वन अधिकार?
सामुदायिक दावों की प्रक्रिया एक जटिल काम है जिसके लिए ग्राम सभा की मुकम्मल तैयारी की ज़रूरत होती है
वनाधिकार समीक्षा: आदिवासियों के दावों को खारिज करने का उपकरण बना मध्यप्रदेश का वन मित्र पोर्टल
अधिकारी, ग्राम सभा या वन अधिकार समिति की जानकारी के बिना दावों को खारिज कर देते हैं
डाउन टू अर्थ खास: वनवासियों के कितने काम आ रहा है वनाधिकार अधिनियम?
पिछले कुछ समय से वन समुदायों द्वारा न केवल अपने आवास के संसाधनों तक पहुंच बनाने, बल्कि वनों पर अपना स्वामित्व स्थापित करने की ...
सलवा जुडूम और नक्सली हिंसा से पीड़ित आदिवासी मांग रहे हैं दो गज जमीन
राज्य समर्थित नागरिक सेना सलवा जुडूम और नक्सल समर्थकों के बीच चल रही हिंसा से खुद को बचाने के लिए साल 2005-06 में 50,000 ...
मध्य प्रदेश में नहीं मिल सके 58 दिनों में सामुदायिक संसाधनों के अधिकार
मध्य प्रदेश सरकार ने 15 नवंबर तक 19158 गांवों को वनाधिकार देने का वादा किया था, लेकिन किसी भी गांव को अधिकार नहीं दिया गया
वन विभाग बनाम वनाधिकार कानून
भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 28 जून 2022 को जारी नया फरमान, आदिवासियों और वनाश्रितों के विरुद्ध ऐतिहासिक अन्याय करने वाले ...
मध्य प्रदेश: कितनी सही है वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में बदलने की कवायद
मध्य प्रदेश सरकार ने सतपुड़ा पेंच एवं कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से संबन्धित 19 और पन्ना टाइगर रिजर्व क्षेत्र के 7 वन ग्रामों को राजस्व ...
कुछ विशिष्ट वन समुदायों तक ही सीमित नहीं वन अधिकारी द्वारा वनवासियों के दावों को सुनने का अधिकार: सुप्रीम कोर्ट
अदालत का कहना है कि ऐसे दावों पर सुनवाई का अधिकार केवल कुछ समुदायों तक ही कैसे सीमित किया जा सकता है जब जमीन ...
छत्तीसगढ़ में सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन बना सकता है ग्राम सभाओं को आत्मनिर्भर
छत्तीसगढ़ में महाराष्ट्र की तर्ज पर सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन योजना को संचालित करने के लिए कंवर्जंस की जरूरत है
वनाधिकार समीक्षा: आदिवासियों को बिना कारण बताए खारिज कर दिए गए आवेदन
वन मित्र पोर्टल के माध्यम से 2020 में दर्ज किए गए आवेदनों को बिना कारण बताए खारिज कर दिया गया
मध्य प्रदेश: वन मित्र पोर्टल में उलझे वन ग्राम, नहीं मिल पाया राजस्व ग्राम का दर्जा
आदिवासियों के फोन, इंटरनेट की सुविधा न होने के कारण ऑफलाइन सर्वे शुरू किया गया, लेकिन बाद में ऑनलाइन आवेदनों को ही अनिवार्य कर ...
नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अवधि विस्तार पर लगा पूर्ण विराम, तीन दशकों से चल रहे आदिवासी आंदोलन की बड़ी जीत
तोप दागने के सघन अभ्यास के चलते यहां बसे आदिवासी समुदायों को उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा, उससे फील्ड फायरिंग रेंज विरोधी जन संघर्ष ...
क्यों महत्वपूर्ण है हिमाचल प्रदेश में पांच वनाधिकार दावों की स्वीकृत मिलना?
दावे की मंजूरी मिलने के बाद अब दावेदारों को उनको न केवल आवास बल्कि वन भूमि पर की जा रही खेती का भी अधिकार ...
किसके फायदे के लिए हो रहा है वन संरक्षण कानून, 1980 में संशोधन?
40 वर्ष बाद केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, वन संरक्षण कानून में बदलाव करना चाहता है, लेकिन क्यों?
ओडिशा के 24 गांवों को मिला वनों का सामुदायिक अधिकार
24 गांवों को 14 वनों का सामुदायिक और बाकी वनों का सामुदायिक वन संसाधन अधिकार दिया गया
डाउन टू अर्थ खास: सहूलियत के नाम पर आदिवासियों से छीना जा रहा है वनाधिकार
मध्य प्रदेश में खारिज किए जा चुके वन अधिकारों के दावों की समीक्षा के लिए वेब पोर्टल लॉन्च किया गया। लेकिन, इससे दावेदारों को ...
किसकी रक्षा कर रहे हैं वन कानून और विभाग?
156 साल से अंग्रेजों की रीतियों-नीतियों को ढो रहे वन विभाग से कई सवाल तो पूछने ही चाहिए
ओडिशा के गंजम जिले के 38 गांवों को मिला “राजस्व” का दर्जा
ओडिशा राजस्व बोर्ड द्वारा किए गए अनुमोदन के बाद इन गांवों के छह हजार से ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाएं मिलने का रास्ता साफ हो ...
हमें माओवादी बताकर जेल में डाला गया: गरियाबंद के 18 गांवों के लोगों ने वनाधिकारों की लड़ाई से पीछे हटने से किया इंकार
नौ अगस्त को चार गांवों के लोगों को सामुदायिक वन-स्रोत अधिकार दिए जाने के राज्य सरकार के फैसले से आदिवासियों में उम्मीद जगी है