कोविड-19: लॉकडाउन ने बिगाड़ी ग्रामीण भारत की दशा
कोरोनावायरस संक्रमण को रोकने में देश भर में एक साथ किए लॉकडाउन के बाद ग्रामीण भारत की दशा की पड़ताल करती एक बड़ी रिपोर्ट-
बिहार की 1.30 करोड़ आबादी को खाने के लाले: ज्यां द्रेज
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे पत्र में ज्यां ने कहा है कि 30 प्रतिशत आबादी की पहुंच सरकारी राशन दुकानों तक नहीं है
मनरेगा: जंगली बबूलों की जड़ें उखाड़ बनाया चारागाह
लॉकडाउन के दौरान अप्रैल के आखिरी हफ्ते में शुरू हुई मनरेगा योजना के तहत ग्रामीणों ने जंगली बबूलों को काटकर चारागाह बनाने का फैसला ...
वीडियो स्टोरी: लॉकडाउन का एक साल, कैसे भारत ने अपना सबसे बड़ा आंतरिक पलायन देखा
लॉकडाउन का एक साल पूरे होने पर डाउन टू अर्थ ने एक वीडियो सीरीज तैयार की
लॉकडाउन ग्रामीण अर्थव्यवस्था: निर्यात बंद होने से गुजरात के किसानों की रीढ़ टूटी
निर्यात बंद होने के कारण गुजरात के कई गांवों के किसानों की चिंता बढ़ा दी है
लॉकडाउन की अवधि बढ़ी: भारत में रुके 1100 नेपाली मजदूरों का एकांत में बीतेगा नया साल
विषुवत संक्राति 14 अप्रैल को है और उसी दिन नेपाल में नया साल मनाया जाना है
लॉकडाउन से बिगड़े हालात तो मास्क सिल कर चला रही हैं घर का खर्च
महिलाओं का कहना है कि सितंबर में मास्क बना कर घर खर्च लायक पैसा मिल गया, लेकिन आगे क्या होगा?
लॉकडाउन से राजस्थान में जल की गुणवत्ता हुई बेहतर
राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नई रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य की नदियों, नहरों, बांधों और झीलों की जल गुणवत्ता में सुधार हुआ है
पीएम किसान सम्मान: राजस्थान में कितने किसानों को मिले 2,000 रुपए?
केंद्र सरकार का दावा है कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन से निपटने के लिए किसानों को किसान सम्मान निधि पहले दी जा रही है
देश की आठ हजार दाल मिले बंद है, जानिए दलहन किसान और मजदूर का हाल
लॉकडाउन की वजह से दाल मिलें बंद पड़ी हैं, 2 लाख से अधिक मजदूर खाली बैठे हैं और दलहन किसान की चिंता बढ़ती जा ...
कोरोनावायरस: 80 करोड़ परिवारों को झेलना पड़ सकता है आर्थिक संकट: विश्व बैंक
विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी प्रवासियों द्वारा भेजे जाने वाले पैसों (रेमिटेंस) में कमी आएगी और भारत सबसे अधिक ...
मनरेगा जरूरी या मजबूरी-9: कमियों के बावजूद संपूर्ण योजना
मनरेगा की उत्पत्ति उन आपदाओं के मद्देनजर हुई थी जो जमीन या कृषि के कार्य से जुड़ी हुई थी
उत्तराखंड में रिवर्स पलायन: अर्थ और विकास नीति में व्यापक बदलाव की जरूरत
पहाड़ और मैदान के बीच भेदभाव दूर करने के लिए अर्थ और विकास नीति में व्यापक बदलाव करना होगा
बारिश, ओलावृष्टि और लॉकडाउन ने रबी की फसल को पहुंचाया नुकसान: रिपोर्ट
इस साल उम्मीद की जा रही थी कि रबी की फसल का उत्पादन बहुत अच्छा रहेगा, लेकिन अब जो आकलन सामने आ रहे हैं, ...
मानसिक तनाव से ग्रस्त हो रहे हैं प्रवासी मजदूर
महामारी और लॉकडाउन से उपजी 'असुरक्षा' ने अप्रवासी मजदूरों को डरा दिया है
पृथ्वी दिवस पर चिंतन: क्या यह महामारी किसी शहर की परिकल्पना को बदल सकती है?
इस महामारी के बाद हमारे शहरों को अधिक मानवीय और समावेशी बनाने की जरूरत है
लॉकडाउन: 30 प्रतिशत प्रवासी मजदूरों ने घर वापसी के लिए लिया कर्ज: स्टडी
लॉकडाउन के बाद घर लौट रहे प्रवासियों पर किए गए अध्ययन में पाया कि 52 फीसदी लोगों के पास 1 एकड़ से कम जमीन ...
झारखंड में प्रवासियों की वापसी, जरा सी चूक कहीं पड़ न जाए भारी
झारखंड में अब तक 115 लोग कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए हैं। इसमें 90 प्रतिशत मामले ए सिंप्टोमेटिक हैं
लॉकडाउन नहीं खुला तो प्रवासी मजदूर ने कर ली आत्महत्या
दिहाड़ी मजदूरी करने वाले 30 वर्षीय युवक ने लॉकडाउन के कारण अपने चार बच्चों के लिए राशन का इंतजाम नहीं कर पाया
नेपाल में परिवार तक कमाई के पैसे और राशन भिजवा सकेंगे भारतीय कैंपों में ठहरे 1100 मजदूर
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के धारचुला में ठहरे 1100 नेपाली मजदूरों की ओर से भूख हड़ताल की चेतावनी दी जा रही है
अब खड़ी फसल में आग लगने की घटनाओं ने बढ़ाई किसानों की मुसीबत
लॉकडाउन की वजह से खेतों में फसल की कटाई में देरी हो रही है, वहीं अब खड़ी फसल में आग लगने से किसानों की ...
लॉकडाउन: लखनऊ की चिकनकारी का काम ठप, कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट
लखनऊ की प्रसिद्ध चिकनकारी से जुड़े कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। लॉकडाउन की वजह से उनका काम ठप पड़ा ...
लॉकडाउन के बाद यातायात का दबाव सहने के लिए तैयार नहीं है दिल्ली : सीएसई
कोविड-19 के दौरान व्यस्त यातायात और वायु प्रदूषण से मिली राहत बरकरार नहीं रह सकी
दिल्ली-एनसीआर में 85 फीसदी लोगों की कमाई कम हुई: सर्वे
नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) एक सर्वे में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं
कोरोना लॉकडाउन: मजदूर क्यों न खोते धैर्य?
अमीर अब सरकार पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं, जबकि कम विशेषाधिकार लोगों का अनुभव इससे उलट रहा