बिहारी मजदूरों की नियति बन गया है पलायन
बिहार मूल के लगभग 36.06 लाख लोग महाराष्ट्र, यूपी, पश्चिम बंगाल, गुजरात, पंजाब और असम में रहते हैं
ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 8 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 24 प्रतिशत बच्चों की ही ऑनलाइन पढ़ाई नियमित रूप से हुई : सर्वेक्षण
15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में गरीब परिवारों के 1,400 बच्चों पर किया गया हालिया सर्वेक्षण बताता है कि कोरोना काल में पढ़ाई ...
क्या इस साल भी विकास को थामे रखेगी कृषि ?
कृषि को छोड़कर अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्र अभी भी 2019-20 के स्तर से नीचे हैं।
जारी है प्रवासी श्रमिकों का घर लौटना, अहमदाबाद में रेलवे स्टेशन पर जुटी है भीड़
गुजरात के सबसे बड़े औद्योगिक नबर अहमदाबाद में प्रवासी मजदूर हर हाल में अपने वतन वापस जाना चाहते हैं क्योंकि उन्हें गतवर्ष की तरह ...
पटरी से उतरी दिल्ली के रेहड़ी-पटरी वालों की जिंदगी
लॉकडाउन के बाद गांव नहीं जाने वालों और लौटकर आने वाले दिल्ली के पटरी दुकानदारों के सामने भुखमरी की स्थिति है
अजमेर के जामुन व्यवसाय पर पहले लॉकडाउन, अब मौसम की मार
पीक सीजन में लॉकडाउन के कारण माल बाहर नहीं जा सका। जब थोड़ा खुला है तो बारिश नहीं हो रही
कोरोना राहत पैकेज: किसानों और मजदूरों को क्या मिला?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की थी
मध्यप्रदेश के सबसे बड़े गेहूं उत्पादक जिले होशंगाबाद में परिवहन व्यवस्था फेल
खरीदी केंद्र के प्रबंधकों ने प्रशासन और सहकारिता विभाग को पत्र लिखकर अपनी समस्याएं बताते हुए 28 अप्रैल से खरीदी का काम रोक दिया ...
कोरोनावायरस से लड़ाई में स्थानीय सरकारों को भी शामिल किया जाए
हिंदुस्तान जैसे विशाल उप-महाद्वीप में केवल 1 संघीय और 29 राज्य सरकारें ही नहीं हैं बल्कि 2,74,275 स्थानीय सरकारें भी हैं
दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश में भी लगा वीकेंड लॉकडाउन, प्रवासी श्रमिकों की मौके पर जांच का आदेश
उत्तर प्रदेश में विभिन्न राज्यों से करीब एक लाख प्रवासी श्रमिक 19 और 20 अप्रैल, 2021 को लौटे हैं। वहीं सरकार ने 18 वर्ष ...
कोरोना के दौर में घुमंतू समुदाय
मार्च और अप्रैल में राजस्थान के घुमंतू चारे और संसाधन की तलाश में प्रदेश की सीमा को पार करते हैं लेकिन इस बार ऐसा ...
लॉकडाउन ने और चौड़ी कर दी डिजिटल विभाजन की खाई
कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन ने पहले से मौजूद डिजिटल विभाजन को और स्पष्ट कर दिया है
सभी महिलाओं के जनधन खातों में नहीं पहुंची कोविड-19 राहत : सर्वेक्षण
13 राज्यों में कम से कम 12,500 खाताधारकों का सर्वेक्षण किया गया, 16 प्रतिशत ने कहा खाता निष्क्रिय था
कोरोना से लड़ाई में आदिवासियों का साथ दे रहा है यह स्वयंसेवी संगठन
कोरापुट देश के उन जिलों में से है जहां 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी आदिवासियों की है। यहां प्रगति नामक यह संगठन लोगों के ...
क्या लॉकडाउन खुलने के बाद लौट आएंगे पहाड़ गए लोग?
लॉकडाउन की घोषणा होते ही प्रवासी वापस अपने गांव लौट गए, लेकिन क्या ये वहीं रह पाएंगे, क्या वहां की सरकारें इन्हें रोकने के ...
महामारी से तब भी पीड़ित थे, अब भी पीड़ित हैं : कांचा इलैया
जब भी कोई महामारी होती है तो कम प्रतिरक्षा और अन्य कारणों से गरीब सबसे अधिक शिकार होते हैं।
कोरोना की दूसरी लहर और मनरेगा-6: उत्तर प्रदेश के कई गांवों में एक भी ग्रामीण को नहीं मिला काम
कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान जब लोग बेरोजगार थे, उस समय उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव चल रहे थे, जिस वजह से लोगों ...
महामारी के कुल प्रभाव को जांचने का प्रभावी टूल है एक्सेस मोर्टेलिटी
किसी भी महामारी के दौरान स्वास्थ्य या अन्य सभी कारणों से होने वाली मौतों के बारे में जानकारी देने वाले आंकड़ों को एक्सेस मोर्टेलिटी ...
बिहार चुनाव परिणाम: तो फिर किन मुद्दों पर लोगों ने दिया वोट
मुद्दों के मामले में बिहार चुनाव परिणाम ने राजनीतिक विश्लेषकों को चौंकाया है, लेकिन जमीन पर इन मुद्दों ने भी काम किया
कोरोना काल में लौटे प्रवासियों को रोक पाएगा उत्तराखंड?
कोरोना काल में उत्तराखंड में 3.30 लाख से अधिक प्रवासी लौटे हैं, लेकिन इनमें से कितने प्रवासियों को राज्य सरकार रोक पाएगी?
क्या भारत फिर कृषि प्रधान बनेगा?
खरीफ का मौजूदा रकबा उम्मीद जगाता है क्योंकि कोविड काल में अधिक से अधिक किसान खेती की ओर लौट रहे हैं
महामारियों का तेजी से पता लगाएगा यह सॉफ्टवेयर
वैज्ञानिकों ने कहा कि हमने जो उपकरण, सॉफ्टवेयर विकसित किए हैं उनका इस्तेमाल किसी भी प्रकोप का पता लगाने तथा उसे रोकने के लिए ...
शासन मायने रखता है : कोविड-19 महामारी ने यही दिखाया
भारत के लिए वायरस नहीं बल्कि यह सच्चाई एक शर्मिंदगी की वजह है कि हम सामान्य समय में भी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए ...
भारत में वापस लौटी सामूहिक गरीबी
दुनिया में सबसे तेजी से गरीबी कम करने वाले भारत में 45 साल के बाद एक साल में सबसे ज्यादा गरीब बढ़े
कोविड-19 के झटके से दोगुनी होगी गरीबी
हर व्यक्ति को छह महीने तक 750 रुपए प्रतिमाह देकर उसे महामारी के आर्थिक झटके से उबारने में मदद मिलेगी