बड़ी पड़ताल: उत्तराखंड में रिवर्स माइग्रेशन, कितना टिकाऊ?
पांच साल के अंतराल में खींची गई इन दो तस्वीरों में एक मामूली अंतर है। दूसरी तस्वीर में न केवल दो लोग अतिरिक्त हैं, ...
दुनिया भर के कुल विस्थापन में भारत की हिस्सेदारी 20 फीसदी
डाउन टू अर्थ स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2020 इन फिगर्स में भारत सहित दुनिया भर में हुए विस्थापन का विवरण दिया गया है
विस्थापन की पीड़ा
वर्ष 2019 में बाढ़, सूखा, तूफान जैसी आपदाओं के चलते देश में करीब 50,18,000 लोग बेघर हो गए। इस वर्ष भारत में दुनिया के ...
यात्रा वृतांत: उत्तराखंड का यह गांव, जहां से युवा नहीं करते पलायन
उत्तराखंड के गांव के गांव खाली हो रहे हैं। सबसे पहले युवा रोजगार की तलाश में पलायन करते हैं, लेकिन इन गांवों में ऐसा ...
छत्तीसगढ़ के गांवों से क्यों मजदूरी करने शहरों में जाते हैं लोग
छत्तीसगढ़ सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना काल के समय में करीब सात लाख प्रवासी श्रमिकों ने घर वापसी की है
जारी है प्रवासी श्रमिकों का घर लौटना, अहमदाबाद में रेलवे स्टेशन पर जुटी है भीड़
गुजरात के सबसे बड़े औद्योगिक नबर अहमदाबाद में प्रवासी मजदूर हर हाल में अपने वतन वापस जाना चाहते हैं क्योंकि उन्हें गतवर्ष की तरह ...
कोविड-19 लॉकडाउन: 28 फीसदी प्रवासी मजदूरों को कमरे के किराये के लिए किया गया परेशान
हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क ने दिल्ली में काम करने वाले अलग-अलग राज्यों के लोगों पर सर्वेक्षण किया
कोरोना काल में लौटे प्रवासियों को रोक पाएगा उत्तराखंड?
कोरोना काल में उत्तराखंड में 3.30 लाख से अधिक प्रवासी लौटे हैं, लेकिन इनमें से कितने प्रवासियों को राज्य सरकार रोक पाएगी?
कोविड-19 के कारण लौटे 45 फीसदी प्रवासी उत्तराखंड में रुक सकते हैं: रावत
कोविड-19 और लॉकडाउन की वजह से उत्तराखंड लौटे प्रवासियों को राज्य में कैसे रोकेगी सरकार, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया-
95 फीसदी प्रवासी अपने गांव-घर लौटना चाहते हैं: सर्वे
विभिन्न प्रदेशों में फंसे हुए 31,423 प्रवासियों से बातचीत के बाद एकता परिषद ने एक सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार की है
कोरोना काल के तीन साल: अब तक उबर नहीं पाया हूं मैं, झेल रहा हूं शारीरिक दिक्कतें
कोविड-19 महामारी घोषित हुए तीन साल पूरे होने पर डाउन टू अर्थ में पढिए, कुछ लेखकों की आपबीती
उत्तराखंड: पलायन आयोग की रिपोर्टों से हासिल क्या होगा?
पलायन आयोग ने 16 जून की शाम टिहरी पर अपनी रिपोर्ट पेश की। इससे पहले पौड़ी, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा पर आयोग अपनी रिपोर्ट दे ...
शहर छोड़कर गांव जाने वाले कामगार लौटे, अब काम के लाले
असंगठित क्षेत्र के बहुत से कामगार लॉकडाउन के बाद अपने गांव चले थे लेकिन वहां काम न मिलने पर वापस लौटना पड़ा
दुनिया भर में बढ़ रही है प्रवासियों की संख्या, भारतीय सबसे अव्वल: रिपोर्ट
वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट 2020 में कहा गया है कि हिंसक घटनाओं और प्राकृतिक आपदाओं के कारण लोग अपने घर छोड़ कर दूसरे स्थानों पर ...
पलायन रोकने का दावा फेल, फिर बिहार छोड़कर बाहर जा रहे मजदूर
कोसी, मिथिलांचल और चंपारण के इलाकों में रोज पंजाब और हरियाणा से बसें आ रही हैं, जो मजदूरों को अपने साथ धान रोपणी के ...
प्रवासी श्रमिकों ने श्रमदान से पुनर्जीवित की घरार नदी
सालों पहले चैक डेम बनने से जब नदी का पानी कम हो गया तो खेतों की सिंचाई रुक गई और धीरे-धीरे लोग गांव छोड़ ...
किस राज्य में कितने प्रवासी मजदूर फंसे हैं, देखिए लिस्ट
छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक 10.85 लाख , केरल में 2.86 लाख और तमिलनाडु में 1.93 लाख प्रवासी मजदूर फंसे थे
पलायन की पीड़ा-2: खेतों में नहीं होती गुजर बसर लायक पैदावार
लॉकडाउन के बाद प्रवासी मजदूरों की वापसी ने देश के सामने एक सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर पलायन होता ही क्यों है? डाउन ...
पलायन की पीड़ा-8: प्रवास, विस्थापन को कम किया जा सकता है, रोका नहीं जा सकता
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय क़े अवकाश प्राप्त अध्यापक, माइग्रेशन के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ तथा “वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट 2020” के सह-संपादक बिनोद खदरिया ने डाउन टू अर्थ ...
मनरेगा जरूरी या मजबूरी-7: शहरी श्रमिकों को भी देनी होगी रोजगार की गारंटी
शहरी श्रमिकों को रोजगार का कानूनी अधिकार प्रदान करने से शहरी अर्थव्यवस्था में कम आमदनी पर काम करने वाले श्रमिकों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा
क्या बिहार से पलायन रोक पाएगी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना?
बिहार सरकार ने केंद्र से मनरेगा में 200 दिन का रोजगार सुनिश्चित करने की मांग की थी, लेकिन केंद्र ने 125 दिन की नई ...
मेरी जुबानी: परंपरा खत्म तो आत्मनिर्भरता खत्म
अपने आसपास के कुदरती संसाधनों पर सरकार का कब्जा होने का सिलिसिला शुरू होने के बाद से कल तक का एक स्वतंत्र ग्रामीण आज ...
मनरेगा जरूरी या मजबूरी-8: दूसरा संस्करण शुरू करने का सही समय
हमने गांवों के पावर डायनेमिक्स को रातों-रात बदलते देखा। पारंपरिक रूप से मजदूर काम के लिए किसानों पर निर्भर रहा करते थे, लेकिन अब ...
क्या मजदूरों के खाते में पहुंच गए 1,000 से 6,000 रुपए?
केंद्र सरकार ने दावा किया है कि 2 करोड़ से अधिक निर्माण मजदूरों को 1,000 से लेकर 6,000 रुपए प्रति मजदूर आर्थिक सहायता दी ...
बिहारी मजदूरों की नियति बन गया है पलायन
बिहार मूल के लगभग 36.06 लाख लोग महाराष्ट्र, यूपी, पश्चिम बंगाल, गुजरात, पंजाब और असम में रहते हैं