खरीफ सीजन: साल 2021 के मुकाबले इस साल छह लाख हेक्टेयर में कम हुई बुआई
चालू खरीफ सीजन में दलहन का रकबा 8.59 फीसदी घटा है, जबकि सीजन की बुआई लगभग खत्म होने वाली है
88 जिलों में बिल्कुल भी नहीं हुई मॉनसून पूर्व बारिश, 12 राज्यों में सूखे जैसे हालात
विशेषज्ञों ने कहा कि मॉनसून पूर्व बारिश न होने से सब्जी फसलों को नुकसान होता है और खरीफ फसलों की तैयारियां प्रभावित होती हैं
मॉनसून 2023: क्या लंबी अवधि के सूखे की भविष्यवाणी कर सकता है भारत?
एक नए डीप लर्निंग मॉडल से पता चला है कि 2027 तक देश के कई महत्वपूर्ण हिस्से सूखे की चपेट में होंगें
500 वर्षों के इतिहास में सबसे भीषण सूखे का सामना कर रहा है यूरोप
महाद्वीप का करीब 47 फीसदी हिस्से में चेतावनी जारी की गई है कि जहां मिट्टी तेजी से अपनी नमी खो रही है जबकि 17 ...
पानीदार भारत और सूखे का बढ़ता संकट
मॉनसून की शुरुआत के बाद सूखे की चर्चा अटपटा जरूर है, पर जलवायु परिवर्तन के दौर में बिगड़ता मॉनसून का स्वरूप सूखे के दायरे और ...
सूखे की मार के बीच अब जमीन छिनने का डर
बैंक का कर्ज न चुका पाने पर बुंदेलखंड के किसानों की जमीन नीलाम हो रही है
हिमाचल में एक और भूस्खलन, चंद्रभागा नदी का प्रवाह थमने से बाढ़ का खतरा
इस मानसून सीजन में लाहौल स्पीति जिले में प्राकृतिक आपदा की यह दूसरी बड़ी घटना है
बिहार के 36 जिलों में सामान्य से कम हुई बारिश, हो सकती है सूखे की घोषणा
बारिश न होने के कारण बिहार के ज्यादातर इलाकों में धान की रोपाई नहीं हो पाई है
सूखे की चपेट में है भारत का 30 फीसदी हिस्सा
अगस्त के दौरान बारिश में 36 फीसदी की कमी दर्ज की गई है
दुनिया में पड़ने वाले सूखे से कृषि और खाद्य सुरक्षा पर 9 गुना तक बढ़ जाएगा खतरा
सदी के अंत तक दुनिया भर में हर साल लगभग 12 करोड़ लोगों पर गंभीर सूखे का असर पड़ सकता है।
कॉप-28: 2022-23 में 23 देशों ने सूखे को लेकर घोषित किया आपातकाल, 184 करोड़ लोग प्रभावित
करीब 184 करोड़ लोग सूखे से प्रभावित हैं, जिनमें से करीब पांच फीसदी को भीषण सूखे का सामना करना पड़ा था
भारत की नदियां सूखी: 13 नदियों में पिछले साल के मुकाबले काफी कम हुआ पानी का स्तर
भारत के 150 प्रमुख जलाशयों में जल भंडारण क्षमता उनकी कुल क्षमता का 36 प्रतिशत तक गिर गई है
महाराष्ट्र सूखा योजना: दस साल, 9,630 करोड़ खर्च, फिर भी महज 487 लोगों के लिए पानी
विशेषज्ञों का कहना है कि मराठवाड़ा में सूखा स्पष्ट रूप से मानव निर्मित आपदा है, जिसके लिए जल संसाधनों का कुप्रबंधन जिम्मेवार है