क्लास की खिड़की से पक्षी देखने से सुधर सकता है छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य
अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के इच्छुक कॉलेज के छात्रों के लिए, एक संभावित उत्तर उनकी खिड़की के ठीक बाहर पक्षियों को देखना ...
सन्नाटे की गूंज
यात्रा एक पर्यावरण आंदोलन की, जिसने विकास योजनाओं को देखने, परखने का नजरिया ही बदल डाला
भारत सहित दुनिया भर में पक्षियों की 5,412 प्रजातियों में आ रही गिरावट
वहीं पक्षियों की आठ में से एक यानी 12.8 फीसदी प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं
किसकी रक्षा कर रहे हैं वन कानून और विभाग?
156 साल से अंग्रेजों की रीतियों-नीतियों को ढो रहे वन विभाग से कई सवाल तो पूछने ही चाहिए
अंडमान में 83 फीसदी से अधिक मूंगे की चट्टानें हुई विरंजित, जेडएसआई का खुलासा
दक्षिण अंडमान के इलाके में उनका अधिकतम नुकसान 91.5 फीसदी हुआ है
कवकों की 20 लाख से ज्यादा प्रजातियों से अनजान दुनिया, महज 155,000 को किया जा सका है दर्ज
दुनिया में फंगी यानी कवकों को 25 लाख से ज्यादा प्रजातियां हैं, जिनमें 90 फीसदी से भी ज्यादा से दुनिया अनजान है
दुनिया में 17 फीसदी नदियां बची हैं, जो मुक्त प्रवाह से बह रही हैं: शोध
1970 के बाद से नदियों में रहने वाली प्रजातियों की आबादी में 84 फीसदी की कमी आई है
ताजे पानी की एक चौथाई मछलियों पर मंडरा रहा है विलुप्त होने का खतरा: आईयूसीएन
रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और बेतहाशा किया जा रहा शिकार इन प्रजातियों के लिए बड़ा खतरा बन चुका है
पैंगोलिन के अवैध शिकार के हॉटस्पॉट का चलेगा पता, घटती आबादी पर लगेगी लगाम
अवैध वन्य जीवों का वैश्विक व्यापार 20 बिलियन डॉलर का व्यवसाय है जो अंतर्राष्ट्रीय उत्पादक संघ या कार्टेल द्वारा संचालित होता है।
भारत में इंसानी लालच की भेंट चढ़ते वन्यजीव, तीन दशकों में अवैध व्यापार का शिकार हुए 8,603 पैंगोलिन
यह शर्मीले जीव पिछले करीब छह करोड़ वर्षों से पृथ्वी पर मौजूद है। भारत में इसकी दो प्रजातियां पाई जाती हैं और दोनों ही ...
पृथ्वी की हर पांचवी प्रजाति का घर हैं विश्व धरोहर स्थल, जैवविविधता के संरक्षण में निभाते हैं अहम भूमिका
यह स्थल दुनिया की कुछ ऐसी प्रजातियों की रक्षा कर रहे हैं जो पृथ्वी पर केवल यही बची हैं।
महाराष्ट्र की मुठा नदी के किनारे से 200 से अधिक पौधों की प्रजातियां हुई गायब: अध्ययन
साल 1958 में किए गए इसी तरह के एक सर्वेक्षण में, विट्ठलवाड़ी से यरवदा के बीच 12 किमी नदी के हिस्से पर 400 से ...
क्यों छोटा हो रहा है मछलियों का आकार, वैज्ञानिक तलाश रहे हैं वजह
मछलियों के गलफड़ों का सतह क्षेत्र सीमित होता है जो उनके द्वारा आपूर्ति की जा सकने वाली ऑक्सीजन की मात्रा में रुकावट डालता है, ...
मछुआरों के हुक में फंसने से खतरे में पड़ी टारपोन मछलियां बन रही हैं शार्क का निवाला
एक शोध में कहा गया है कि हुक में पांच मिनट से अधिक फंसी रहने वाली टारपोन मछली हैमरहेड शार्क का शिकार आसानी से ...
केरल में संरक्षित की जा रही है लुप्तप्राय विशाल सॉफ्टशेल कछुए की प्रजाति
मीठे पानी के सॉफ्टशेल कछुए को आईयूसीएन की संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची में गंभीर रूप से लुप्तप्राय के रूप में वर्गीकृत किया गया ...
इससे पहले कि दुनिया से गायब हो जाएं ध्रुवीय भालू, बढ़ते तापमान पर लगानी होगी लगाम
वर्तमान में दुनिया भर में लगभग 26,000 ध्रुवीय भालू हैं। यदि जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई नहीं की गई तो सदी के अंत तक ध्रुवीय ...
क्या पारे के संपर्क में आने से उभयचरों की आबादी में आ रही है गिरावट? वैज्ञानिकों ने लगाया पता
उभयचरों में पारे को लेकर एक अध्ययन किया गया, जिसमें वैज्ञानिकों ने उनकी 26 तरह की आबादी से 14 प्रजातियों के 3,200 से अधिक ...
लाखों साल पहले हमारे पूर्वजों ने की थी प्रकृति के विनाश की शुरुआत, हमने बढ़ाई रफ्तार
एक अध्ययन के मुताबिक, मांसाहारी जीवों के विलुप्त होने का सबसे मुख्य कारण हमारे पूर्वजों और उनके बीच भोजन के लिए सीधी प्रतिस्पर्धा और ...
कोरोना महामारी: प्रकृति को फिर से खुशहाल और समृद्ध करने का समय
कोरोनावायरस ने वैश्विक अर्थव्यवस्था और समाज को हिला दिया है। प्रकृति रीसेट बटन दबा रही है। वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं भारी गिरावट की स्थिति में हैं
कोरोना काल और बालकनी में सिमटी प्रकृति
यह भी सच है कि घरों में भी वही बैठ सकते हैं जो कि एक अलग किस्म के 'पूंजीवाद' में शामिल हैं
क्या हैं अमीर व गरीब देशों के लिए प्राकृतिक संपदा के मायने?
दुनियाभर में संपत्ति बढ़ रही है, लेकिन यह उन देशों में टिकाऊ नहीं होगी जहां प्रकृति अथवा पूंजी को बर्बाद कर दिया गया है
“प्रकृति और स्त्री पर आधिपत्य की आलोचना है इको फेमिनिज्म”
मिट्टी और स्त्री में बीज बोने का अधिकार पुरुष को हासिल हुआ और इस तरह पूरी दुनिया की प्रकृति पर पितृसत्ता का कब्जा है।
लॉकडाउन, ‘आत्म-अलगाव’ और हमारा प्रकृति प्रेम
लॉकडाउन का सकारात्मक असर सुखद अहसास दे रहा है, लेकिन कहीं ये हमारा प्रकृति प्रेम और वैरागी ‘आत्म-अलगाव’ शमशानी वैराग्य तो नहीं
किस्सा कचरे का
मानव अपने शुरुआती समय में न के बराबर कूड़ा-कचरा पैदा करता था क्योंकि उस समय के इंसानों की जरूरतें भी आज के मुकाबले बहुत ...
प्रकृति में ही छुपा है प्राकृतिक आपदाओं से निपटने का रास्ता: वैज्ञानिक
वैज्ञानिकों के अनुसार जलवायु परिवर्तन और उससे जुडी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए प्रकृति में उपलब्ध समाधानों का सबसे पहले उपयोग किया जाना ...