लॉकडाउन का असर: न महुआ और न बांस की टोकरी बेच पा रहे हैं कमार जनजाति के लोग
हमारे समाज का एक ऐसा वर्ग है जो पहले से हाशिये पर है उनके आजीविका पर लॉकडाउन का असर दिखाई देने लगा है
डाउन टू अर्थ खास: खानपान में बदलाव से कम हो रही है आदिवासियों की उम्र!
खानपान में परिवर्तन और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच न होने के कारण आदिवासी आबादी की जीवन प्रत्याशा में कमी आ रही है
यात्रा वृतांत: उत्तराखंड का यह गांव, जहां से युवा नहीं करते पलायन
उत्तराखंड के गांव के गांव खाली हो रहे हैं। सबसे पहले युवा रोजगार की तलाश में पलायन करते हैं, लेकिन इन गांवों में ऐसा ...
भारत में हर घंटे 22 लोग जबरन घर से निकाले गए : रिपोर्ट
एचएलआरएन की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन सालों में 5.68 लाख लोग बलपूर्वक आवास से बेदखल किए गए
खानाबदोश: कल के विरुद्ध खड़ा बेपनाह समाज
वर्ष 2011 में 46,73,034 जातियों-उपजातियों को तो चिन्हित किया गया, लेकिन लाखों खानाबदोश, तब भी इन सामाजिक वर्गीकरणों में भूले-बिसरे ही रह गये
जय भीम: सत्य और फंतासी के बीच झूलती एक कहानी
गणतंत्र को बचाने के लिए कभी-कभी तानाशाही की जरूरत पड़ती है, ऐसी समझ वाले लोगों को जवाब दे रही है जय भीम
सामुदायिक भूमि पर अधिकार के लिए दलितों का आंदोलन
पंजाब के दलित एकजुट होकर मजबूत तबके से लोहा ले रहे हैं और तमाम उतार-चढ़ाव के बाद हक की लड़ाई जीत भी रहे हैं
छत्तीसगढ़ में पेसा कानून के बहुप्रतीक्षित नियम लागू हुए पर मंशा पर सवाल बाकी
25 साल पहले संविधान की पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों में ‘स्व-शासन’ की स्थापना के लिए पेसा (अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायती राज का विस्तार) कानून ...
भाषा के साथ खत्म होती हैं अनुभूतियां
जरूरी नहीं है कि लिखित भाषाएं ही परिपक्व हों, हमारी बहुत सी भाषाएं वाचिक साहित्य का हिस्सा हैं - अन्विता अब्बी
आदिवासियों के 75% गांवों में नहीं हैं स्वास्थ्य सेवाएं, 52% गांवों में नहीं हैं नल
केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा को दी गई जानकारी के मुताबिक आदिवासियों के गांवों में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं नहीं हैं
बैगा आदिवासियों के दिल्ली वाले बाबा नहीं रहे !
प्रभुदत्त खेड़ा बैगा आदिवासियों के बीच शिक्षा बांटते रहे हालांकि वे हमेशा यही कहते थे कि बैगाओं को पर्यावरण और वनस्पतियों का ज्ञान किसी ...
पद्मश्री पाने के बाद क्यों बढ़ गई इन आदिवासियों की आर्थिक बदहाली?
आदिवासी वर्ग को पद्मश्री तो मिल जाता है, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से इसके बाद उनकी परेशानियां बढ़ जाती हैं
वनवासियों पर भारी न पड़ जाए सरकार की जल्दबाजी
आरोप है कि मंशा सही होने के बावजूद छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासियों के दावों की सुनवाई में जल्दबाजी कर रही है
मौसम विज्ञान को चुनौती, यह घड़ा बताता है कि बारिश होगी या नहीं
बीहड़ों में रहनेवाले आदिवासी मौसम विज्ञानियों के पूर्वानुमान पर निर्भर नहीं रहते। इनके पास देसी तरकीब है, जिसका इस्तेमाल ये सदियों से करते आए ...
महुए की मिठास अब होगी खास!
आदिवासियों द्वारा महुए से बनाए जाने वाले पारंपरिक पेय को शहरी बाजार में उतारने के लिए ट्राईफेड ने आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर तैयार ...
न कोरोना का भय, न लॉकडाउन का असर, यहां नहीं थमी जिंदगी
झारखंड की अनुसूचित जनजाति की 80 फीसदी आबादी जंगलों में रहती है और इनकी जिंदगी में अभी कोई बदलाव नहीं आया है
आदिवासियों से पूछिए क्या है जीवनशाला की सच्चाई
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के आदिवासी तीन दशक से स्वयं के प्रयास से 7 जीवनशाला स्कूल चला रहे हैं
झारखंड में आदिवासियों के गुस्से का शिकार हुई भाजपा: विशेषज्ञ
झारखंड के आदिवासियों को डर था कि रघुवर दास सरकार दोबारा बनी तो उन्हें अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ सकता है
लद्दाख में फंसे हैं 150 से ज्यादा पहाड़िया और संताली आदिवासी
झारखंड के विभिन्न इलाकों में रह रहे आदिवासी लगभग हर साल कारगिल, लद्दाख जैसे इलाकों में सड़क निर्माण के लिए जाते हैं
आधे से ज्यादा आदिवासियों ने घर छोड़ा
आदिवासी खेती से मुंह मोड़ रहे हैं। हर दूसरा आदिवासी परिवार असंगठित क्षेत्र में मजदूरी कर गुजर-बसर को मजबूर है
भारी खर्च के बाद भी कई राज्यों में कोई एकलव्य स्कूल चालू नहीं हुआ
झारखंड में 13 विद्यालयों को मंजूरी दी गई और 2018 तक 130 करोड़ रुपए जारी भी किए गए लेकिन आदिवासियों के लिए कोई स्कूल ...
जंगल के घरों की दीवारों से निकल कर शहरी कद्रदानों की बैठकी तक पहुंच गई है भील चित्रकारी
आदिवासी समुदाय के कुछ चित्रकार इस शैली को खत्म होने से बचाने के लिए पूरी दुनिया में इस कला को लोगों के बीच बांट ...
कोरोना से लड़ाई में आदिवासियों का साथ दे रहा है यह स्वयंसेवी संगठन
कोरापुट देश के उन जिलों में से है जहां 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी आदिवासियों की है। यहां प्रगति नामक यह संगठन लोगों के ...
विकास के आखिरी पायदान पर खड़े हैं आदिवासी: रिपोर्ट
पहली जनजातीय विकास रिपोर्ट में कहा गया है कि कई कारणों के चलते विकास आदिवासियों तक पहुंच नहीं पाता है
गढ़वा भुखमरी मामला: मानवाधिकार आयोग ने डीएम को तलब किया
अक्टूबर 2021 में गढ़वा जिले में 8 हजार आदिवासियों को तीन महीने तक भुखमरी का सामना करना पड़ा था