जग बीती: शुतुरमुर्ग बनाम इंसान
जंगल बचाने वाले देशी समुदायों पर बेदखली का संकट: रिपोर्ट
धरती को बंजर होने से बचाने के लिए काम कर रही संयुक्त राष्ट की संस्था यूएनसीसीडी की रिपोर्ट में यह बात कही गई है
बंजर होता भारत –दो: जद में आ रही है झारखंड की 50 प्रतिशत जमीन
बंजर होती धरती पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है, इसका हल ढूंढ़ने के लिए 196 देशों के प्रतिनिधि भारत में जुटे हैं। ...
भारत ने जमीन का बंजरपन दूर करने का लक्ष्य घटाया
17 जून को हुए कार्यक्रम में भारत सरकार ने लक्ष्य रखा था कि 2030 तक 3 करोड़ हेक्टेयर जमीन का बंजरपन दूर किया जाएगा
समझौते के तीन दशक बाद मरुस्थलीकरण पर चेती दुनिया
भारत में मरुस्थलीकरण के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (कॉप14) चल रहा है। पढ़ें, सुनीता नारायण का यह लेख, जो बताता है कि तीन दशक बाद यह ...
जग बीती: धरती पर चांद!
बंजर होता भारत -एक: 30 प्रतिशत जमीन पर नहीं उग रहा अनाज का एक भी दाना
यूएनसीसीडी कॉप-14 सम्मेलन शुरु, 30 फैसलों पर सहमति की उम्मीद
जावेडकर ने कहा, इंसान ने ही धरती व प्रकृति को नुकसान पहुंचाया है, अब उसे ही इस नुकसान को कम करना चाहिए
बंजर होता भारत -3: आठ साल में खेती लायक नहीं रही 5200 हेक्टेयर जमीन
धरती के बंजरपन को रोकने के लिए 196 देशों के प्रतिनिधि विचार विमर्श कर रहे हैं। भारत में बंजरपन की स्थिति क्या है, डाउन ...
धरती को बंजर होने से रोकने के लिए खर्च हुए 46 हजार करोड़
यूएनसीसीडी के सदस्य देशों ने 2 साल में 6.4 बिलियन डॉलर तो खर्च कर दिए, लेकिन परिणाम उत्साहजनक नहीं मिले हैं
मरुस्थलीकरण को रोकने में विश्व का नेतृत्व कर सकता है भारत
बंजर हो चुकी भूमि किसी भी समुदाय के कारोबार पर पड़ने वाला बोझ है, लेकिन इस स्थिति को बदला भी जा सकता है
भारत में चार वर्षों के दौरान भू-क्षरण की भेंट चढ़ी तीन करोड़ हेक्टेयर उपजाऊ जमीन: संयुक्त राष्ट्र
यह देश के कुल भूभाग की करीब 10 फीसदी हिस्सा है
मरुस्थलीकरण के विरुद्ध: जल और भूमि संरक्षण के लिए वैश्विक एजेंडे की जरूरत
भारत में हरियाली के बिंदु पर पीएम मोदी ने दावा किया कि 2015-17 के दौरान पेड़ों और वन का दायरा 8 लाख हेक्टेयर बढ़ा ...
दुनिया की 70 फीसदी वन भूमि के खराब होने का खतरा : यूएनसीसीडी
रिपोर्ट में 2030 तक वनों के गंभीर क्षति की आशंका जताई गई है। इस सूची में अमेजन के जंगल शीर्ष पर हैं।
2015 से भू-क्षरण की भेंट चढ़ चुकी है मध्य एशिया के बराबर उपजाऊ जमीन
नुकसान की मौजूदा दर के लिहाज से देखें तो दुनिया को भू-क्षरण से मुक्त कराने के लिए 2030 तक 150 करोड़ हेक्टेयर जमीन को ...
बंजर होता भारत -4: सत्ता का केंद्र दिल्ली भी है शीर्ष मरुस्थलीकरण प्रभावित राज्यों में शामिल
झारखंड की जहां 68.98 फीसदी भूमि मरुस्थलीकरण की शिकार है वहीं, राजस्थान की 62.9 फीसदी जबकि दिल्ली में 60.6 फीसदी जमीन मरुस्थलीकरण की चपेट ...
मरुस्थलीकरण पर काबू पाने से 2030 तक मिट सकती है दुनिया की गरीबी
टिकाऊ भूमि प्रबंधन प्रौद्योगिकियों में निवेश से कृषि भूमि का क्षरण रोक कर 2030 तक एशिया व अफ्रीका में गरीबी को खत्म करने में ...
गर्म होते आर्कटिक से पृथ्वी के कई हिस्सों में घट रही धूल, प्रभावों से परे नहीं भारत
रिसर्च से पता चला है कि आर्कटिक में बढ़ते तापमान की वजह से पृथ्वी के कई हिस्सों में धूल का स्तर घट रहा है, ...
दुनिया में मांस का बढ़ता उपभोग, जमीनों पर डाल रहा दबाव : यूएनसीसीडी
यदि प्रति दिन प्रति व्यक्ति मांस के 100 ग्राम उपभोग में महज 10 ग्राम की कटौती कर दे तो मानव स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन ...
हर साल सूखा, मरुस्थलीकरण और भूमि क्षरण की भेंट चढ़ जाती है 1.2 करोड़ हेक्टेयर से ज्यादा भूमि
जलवायु परिवर्तन, कृषि, शहरों और बुनियादी ढांचे के लिए भूमि में बड़े पैमाने पर किया जा रहा बदलाव अब तक करीब 20 फीसदी भूमि ...
कम करके नहीं आंकी जा सकती वन संरक्षण में वनवासियों और देशी समुदायों की भूमिका
ब्राजील में पिछले 30 वर्षों में 6.9 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में फैली स्थानीय वनस्पति खत्म हो चुकी है, जिसका केवल 1.6 फीसदी हिस्सा स्वदेशी समुदायों के अधिकार में था
कॉप 27: सूखे से निपटने के लिए शर्म अल-शेख में ‘इंटरनेशनल ड्रॉट रेसिलिएंस एलायंस’ हुआ लांच
आईपीसीसी का अनुमान है कि जलवायु में आते बदलावों के चलते अगले 28 वर्षों में वैश्विक स्तर पर 75 फीसदी लोग सूखे और पानी ...
2020 में भारत में 40 लाख लोग हुए विस्थापित, चीन सबसे आगे
विश्व प्रवासन रिपोर्ट 2022 के मुताबिक, 2020 में जलवायु परिवर्तन की वजह से आ रही प्राकृतिक आपदाओं के चलते सबसे अधिक लोग विस्थापित हुए
हर साल वातावरण में प्रवेश कर रही 200 करोड़ टन धूल और रेत, चौथाई के लिए जिम्मेवार इंसानी गतिविधियां
यूएनसीसीडी के अनुसार इन रेत और धूल भरी आंधियों के चलते हर साल करीब 10 लाख वर्ग किलोमीटर उपजाऊ जमीन की बलि चढ़ रही ...
कॉप-28: 2022-23 में 23 देशों ने सूखे को लेकर घोषित किया आपातकाल, 184 करोड़ लोग प्रभावित
करीब 184 करोड़ लोग सूखे से प्रभावित हैं, जिनमें से करीब पांच फीसदी को भीषण सूखे का सामना करना पड़ा था