संसद में आज (24 मार्च 2022): सदन में महिला प्रतिनिधियों की संख्या सबसे अधिक
7 राज्यों में स्थित 223 मौजूदा बड़े बांधों का व्यापक रूप से ऑडिट किया गया और 2,567 करोड़ रुपये की लागत से उनका पुनर्वास ...
कोविड-19 ने बिखेर दिया लोगों की आजीविका, सेहत और खाने-पीने की प्रणाली
कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर में मानव जीवन को नुकसान पहुंचाया है और सार्वजनिक स्वास्थ्य, खाद्य प्रणालियों और काम की दुनिया में एक अभूतपूर्व चुनौती ...
प्रवासी श्रमिकों ने चार महीनों में जीवित किए 1,000 तालाब
उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक श्रमदिवस सृजित करने वाला जिला सिद्धार्थनगर रहा। जिले में लॉकडाउन के दौरान कुल 1.51 लाख प्रवासी श्रमिक लौटे
विश्व सामाजिक न्याय दिवस : क्यों मनाया जाता है यह दिन, क्या है महत्व, यहां जानें
यह सुनिश्चित करना विशेषाधिकार प्राप्त लोगों की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि हम एक ऐसी न्यायपूर्ण दुनिया बना सकें जहां सामाजिक न्याय एक आदर्श हो
महामारी से पहले की तुलना में अभी भी कम हैं 11.2 करोड़ रोजगार, थम सी गई है बहाली की रफ्तार
आईएलओ ने इसके लिए महामारी के साथ-साथ खाद्य पदार्थों, ईंधन की बढ़ती कीमतें और वित्तीय उतार-चढ़ाव को जिम्मेवार माना है, जिसने जॉब मार्किट को ...
2050 तक ऊर्जा क्षेत्र में आएंगी 80 लाख नई नौकरियां
अनुमान है कि जहां एक तरफ जीवाश्म ईंधन के क्षेत्र में मौजूद नौकरियों में गिरावट आएगी, वहीं अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में रोजगार की ...
2037 तक, भारत में हर 15 सेकंड में होगी एक नए एयर कंडीशनर की मांग: विश्व बैंक रिपोर्ट
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थायी तरीके से ठंडा करने की रणनीति से न केवल भारत को उत्सर्जन कम करने में मदद मिलेगी ...
उत्तराखंड: केंद्र ने मनरेगा को खेती से जोड़ने का प्रस्ताव लौटाया
कोविड-19 की वजह से उत्तराखंड लौटे लोगों को बंजर खेतों में काम करने पर मनरेगा की मजदूरी देने का प्रस्ताव सिरे नहीं चढ़ पाया
मनरेगा: नए ग्रामीण भारत की रीढ़
तमाम अंतर्विरोधों के बावजूद मनरेगा की सार्थकता उसके शुरू होने के चौदह साल बाद भी बरकरार है
मजदूरों के लिए युद्ध और संघर्ष से ज्यादा बड़ा खतरा हैं जलवायु से जुड़ी आपदाएं
2000 के बाद से जलवायु सम्बन्धी आपदाओं की दर दोगुनी हो गई है| जिसका व्यापक असर श्रमिकों की उत्पादकता पर पड़ रहा है| ऊपर ...
महामारी में मनरेगा ने दिया साथ, लेकिन उम्मीदों पर पूरी तरह खरी नहीं योजना
रिपोर्ट से पता चला है कि इस दौरान मनरेगा के तहत काम करने वाले औसतन केवल 36 फीसदी परिवारों को 15 दिनों के भीतर ...
साल 2050 तक 15.8 करोड़ महिलाओं को गरीबी के भंवर में धकेल देगा जलवायु परिवर्तन
संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नई रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन महिलाओं और बच्चियों को सबसे अधिक प्रभावित करेगा
लॉकडाउन के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रह गई थी स्लमों में रहने वाली दो-तिहाई किशोर बच्चियां
सर्वे में 78 फीसदी माओं ने माना कि लॉकडाउन के दौरान उनकी किशोर बच्चियों को सैनिटरी नैपकिन मिलने में कठिनाई हुई थी