उत्तराखंड में एक और शाही शादी ने पर्यावरण संरक्षण पर खड़े किए सवाल
उत्तराखंड के औली में हुई शादी की याद अभी धुंधली नहीं हुई होगी। हरिद्वार में हुई एक और शाही शादी की तस्वीरों ने उत्तराखंड ...
हर्षिल के सेबों के बिना देहरादून का अंतर्राष्ट्रीय सेब महोत्सव न पड़ जाए फीका
उत्तरकाशी में हर्षिल घाटी के 8 गांव सुक्की, झाला, पुराली,जसपुर, बगोरी, हर्षिल, धराली और मुखबा सेब उत्पादन के लिए मशहूर हैं
नालों-खालों में अतिक्रमण से रुके नदियों के रास्ते
नैनीताल हाईकोर्ट ने नाला-खालों पर अतिक्रमण के खिलाफ दायर याचिका पर सरकार व प्रशासन से जवाब मांगा।
बद्री-केदार में गिरी बर्फ, चार धाम यात्रा के प्रभावित होने के आसार
मई के महीने में आमतौर पर कड़कती धूप होती है। लेकिन उत्तराखंड में उच्च हिमालयी चोटियों पर रुक-रुक कर लगातार बर्फबारी जारी है
900 परिवारों के लिए आफत बना उत्तराखंड सरकार का एक फैसला
राज्य सरकार ने ़एंबुलैंस सेवा 108 का ठेका दूसरी कंपनी को दे दिया है, जिससे 900 कर्मचारियों और उनके परिवारों पर संकट आ गया है।
मतदान के प्रति उदासीन रहा उत्तराखंड का मतदाता
उत्तराखंड में मत प्रतिशत कम रहने की एक वजह बढ़ते पलायन को माना जा रहा है
उत्तराखंड: मई माह में छठी बार हुई बादल फटने की घटना, तीन की मौत
उत्तराखंड में 20 मई को दो अलग-अलग जगह अतिवृष्टि के कारण भूस्खलन की घटनाएं हुई
उत्तराखंड में 10 साल में सबसे कम बारिश, सूखे के आसार
उत्तराखंड में इस बार जून में मात्र 78.4 मिमी बारिश ही दर्ज की गई है, जबकि सामान्य तौर पर इस दौरान 139.6 मिमी बारिश ...
कितनी खतरनाक है केदारनाथ मंदिर के ऊपर बन रही झील
केदारनाथ मंदिर के पीछे बन रही नई झील की पुष्टि हो चुकी है। वैज्ञानिक इस झील का मुआयना कर रहे हैं। उनका कहना है ...
उत्तराखंड की 1 लाख इको-उद्यमी बनाने की योजना से जुड़ी उम्मीदें और सवाल
अक्टूबर 2021 में इकोप्रेन्योरशिप कार्यक्रम की घोषणा की गई थी, लेकिन क्या यह योजना हकीकत बन पाएगी
चमोली त्रासदी : 'तपोवन बैराज के गेट बंद थे और गेटवॉल पर मौजूद 60 मजदूर मलबे में बह गए'
चमोली में 7 फरवरी, 2021 को तपोवन स्थित एनटीपीसी परियोजना पर आखिर क्या हुआ था और वहां के मजदूरों ने कैसे अपनों को त्रासदी ...
चमोली आपदा : संभव है कि यह 2013 उत्तराखंड त्रासदी से काफी अलग एक रॉक एवलांच है
उत्तराखंड की 2013 में हुई त्रासदी और 2021 में चमोली की घटना एक जैसी नहीं है। न ही भूकंप और अत्यधिक वर्षा इस भूस्खलन ...
सुसवा नदी में बह कर आ रहा है प्लास्टिक, खेती को नुकसान
उत्तराखंड की सूख चुकी नदियों में शामिल सुसवा नदी में बरसात के बाद पानी आया तो यह पानी लोगों के लिए मुसीबत बन गया
तापमान बढ़ने के साथ ही उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग
अगले कुछ दिन राज्य के जंगलों पर मौसम की मेहरबानी रहेगी। देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र ने 28 मई से राज्य में ज्यादातर जगहों पर ...
जंगल में आग के लिए कौन जिम्मेवार
जंगलों में आग की वजह और समाधान जानने के लिए डाउन टू अर्थ ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से बात की
मोतीचूर इलाके में गुलदार के हमले से 5 साल में 22 लोगों की मौत
देहरादून में पिछले पांच-छह सालों से मोतीचूर रेंज से सत्यनारायण क्षेत्र के बीच करीब 6 से 7 किलोमीटर के इलाके में गुलदार का आतंक ...
क्यों डूबा उत्तराखंड का टाइटैनिक
सवाल ये है कि जो सरकार एक मरीना नहीं संभाल पायी, वो उसी टिहरी झील में सी-प्लेन उतारने के सपने बेच रही है।
उत्तराखंड: रायपुर आपदा के लिए कितना जिम्मेवार है अवैध खनन
19 अगस्त को बादल फटने के कारण रायपुर में भारी तबाही मच गई थी
बाढ़ के कारण सात दशक में एक लाख से ज्यादा मौतें, उत्तराखंड की स्थिति सबसे ज्यादा खराब
बाढ़ आपदा के कारण सर्वाधिक मृतकों की संख्या गंगा के पहाड़ी और मैदानी राज्यों में है
कोरोनावायरस: क्या पहाड़ तैयार है नई चुनौतियों के लिए
उत्तरकाशी जिले में सूरत से आए एक युवक में कोविड-19 पाॅजिटिव मिलने के बाद चिंता बढ़ी
क्या बारिश से ही बुझ सकती है जंगल की आग
उत्तराखंड के जंगलों में आग का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। याचिकाकर्ता ने कहा, हर साल लगने वाली आग वन्य जीवों के लिए खतरा बन ...
उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मानव हस्तक्षेप पर लगाम जरूरी
उत्तराखंड के औली पर्यटन स्थल में एक शादी का भव्य आयोजन होने जा रहा है, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या हिमालयी क्षेत्र ...
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने से थमेगा उत्तराखंड का पलायन
अल्मोड़ा में पलायन के कारण और रोकने के उपायों को लेकर उत्तराखंड पलायन आयोग ने एक रिपोर्ट तैयार की है। यह रिपोर्ट राज्य सरकार ...
चमोली आपदा: फिर से ऋषिगंगा का जल स्तर बढ़ा, अलर्ट जारी
ऋषिगंगा का जल स्तर बढ़ने के बाद अलर्ट जारी किया गया है, लेकिन अब कारण नहीं पता चल पाए हैं
पलायन से बदल सकता है उत्तराखंड का राजनीतिक भूगोल
उत्तराखंड में जनसंख्या के आधार पर परिसीमन जारी रहा तो ग्रामीण पर्वतीय क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व खत्म हो जाएगा