केंद्र ने खारिज की उत्तराखंड की डीम्ड फॉरेस्ट की परिभाषा
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश को इस तरह की परिभाषाएं नहीं तय करनी चाहिए, ...
अधिकार में मिली जमीन छिनने का डर
अधिकार स्वरूप लोगों को दी गई जमीन छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वापस लेने के कारण तीन जिलों के निवासियों पर बेदखली की तलवार लटक गई ...
सफेद हाथी बन गया है वन विकास निगम, जंगल तो खत्म होंगे ही...
लकड़ी आधारित उद्योगों में लकड़ी की मांगों को पूरा करने के लिए एफडीसी बनाए गए, लेकिन एफडीसी की उत्पादकता में लगातार गिरावट दर्ज की ...
जंगलों पर नियंत्रण के लिए सरकार व वनवासियों के बीच जारी है संघर्ष
महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ सहित देश के आधा दर्जन राज्यों में वन विकास निगम की कारगुजारी के खिलाफ स्थानीय समुदायों में गुस्सा है
उत्तराखंड में आग का तेजी से बढ़ता दायरा
वन्य जीवों के साथ-साथ, जंगल से सटे रिहायशी इलाकों तक पहुंची आग मुश्किलें बरपा रही है। जिससे अब तक राज्य को 21,80,165 रुपये के नुकसान ...
नौकरशाही को मजबूत करेगा सरकार का यह कदम, वनवासियों पर पड़ेगा भारी
केंद्र सरकार ने भारतीय वन अधिनियम (आईएफए), 1927 पर संशोधनों की एक धारदार कुल्हाड़ी चला कर वनवासियों के अधिकारों पर हमला किया है।
वनवासियों पर बेदखली की तलवार, जिम्मेवार कौन
ऐतिहासिक वनाधिकार अधिनियम के बावजूद वनवासियों पर मंडरा रहा है जंगल से बेदखल किए जाने का खतरा
दुनिया भर में चरने वाले जानवरों की विलुप्ति से आग की घटनाओं में हुई वृद्धि
शोध में दुनिया भर के 410 इलाकों के आग लगने के चारकोल रिकॉर्ड से पता चला कि, चरने वाले बड़े जानवरों के विलुप्त होने ...
ब्राजील के अमेजन वन में पेड़ों की घटती संख्या ने तोड़ा 15 वर्षों का रिकॉर्ड
अगस्त 2020 से जुलाई 2021 के बीच इन जंगलों में करीब 13,235 वर्ग किलोमीटर की कमी आई है, जोकि 2006 के बाद से सबसे ...
विकास की कीमत: पांच साल में 72,685 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग बदला
डाउन टू अर्थ की स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2020 इन फिगर्स रिपोर्ट में विकास की वजह से जंगलों को हुए नुकसान का विश्लेषण किया ...
आवरण कथा: क्या कागजों में उग रहे हैं जंगल?
1987 से 2015 तक के दौरान वन आवरण की कुल भूमि में 20-21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है लेकिन इसका कोई उल्लेख नहीं है ...
पृथ्वी के लिए बहुत बड़ा खतरा है अमेजन के जंगलों का नष्ट होना
अमेजन जंगल 21 लाख वर्गमील या 54.39 लाख वर्ग किलोमीटर के विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ दुनिया का एक समृद्धतम् जंगल है
‘गायब’ हो गए देश के जंगल, भारतीय वन सर्वेक्षण के आकलन और डाउन टू अर्थ की पड़ताल में खासा अंतर
डाउन टू अर्थ के विश्लेषण के मुताबिक, सरकारी आकलन में वन भूमि के तौर पर अभिलिखित (रिकॉर्डेड) 30 से 35 फीसदी जमीन कुछ राज्यों ...
विश्व पर्यावरण दिवस 2021: महामारी में पर्यावरण की फिक्र
कोविड-19 वैश्विक महामारी के इस भयावह दौर में विश्व पर्यावरण दिवस की तार्किकता बयान करता सुनीता नारायण का आलेख
पारिस्थितिकी तंत्रों को बचाने के लिए 2050 तक पर्यावरण पर करना होगा 587 लाख करोड़ का निवेश
रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक प्रकृति-आधारित समाधानों पर अब से करीब चार गुना ज्यादा निवेश करना होगा
हिमाचल प्रदेश के जंगलों में भी लगी आग, अप्रैल में 100 से ज्यादा मामले दर्ज
हिमाचल प्रदेश में मार्च माह में 294 जगह जंगलों में आग लगी थी, जबकि अप्रैल के पहले पांच दिन 100 से अधिक जगह आग ...
वन गुर्जरों के साथ एक दिन
सरकार हमारे और जंगल के बीच के रिश्ते को नहीं समझती। जंगल बिना हम नहीं और हमारे बिना जंगल नहीं
जंगलों के 5 किलोमीटर के दायरे में बसे हैं 160 करोड़ लोग, वैज्ञानिकों ने तैयार किया नक्शा
शोधकर्ताओं के अनुसार जंगलों के 5 किलोमीटर के दायरे में रहने वाली 71.3 फीसदी आबादी निम्न या मध्यम आय वाले देशों से सम्बन्ध रखती ...
अपनी जन्मभूमि में 'अपराधी' बन कर रह रहे हैं आदिवासी
आदिवासी कहते हैं कि धीरे-धीरे हमें विश्वास होता गया कि अपनी चुनी हुई सरकार और सरकार की चुनी हुई कंपनी में कोई भी अब ...
आरे मामला: क्या बदल सकती है वन भूमि की परिभाषा?
विशेषज्ञों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में 18 अक्टूबर की तारीख बेहद महत्वपूर्ण हो सकती है, क्योंकि कोर्ट वन भूमि के वर्गीकरण के ...
फल खाने वाले पक्षियों के बिना कार्बन जमा करने में आएगी 38 फीसदी की कमी : अध्ययन
अध्ययन के आंकड़ों से पता चलता है कि कम घने जंगल पक्षियों की आवाजाही को सिमित करते हैं, जिससे कार्बन रिकवरी की संभावना 38 ...
जग बीती: हसदेव में सेल्फी प्वाइंट!
क्या जंगल में फैलती आग को रोकने में मददगार साबित हो सकती है केले के पेड़ों की बाड़
जलवायु में आते बदलावों और बढ़ते तापमान के साथ जंगल में लगने वाली आग की आशंका भी कहीं अधिक प्रबल होती जा रही है
क्या वाकई भारत में बढ़ रहा है जंगलों का दायरा?
अब तक वन क्षेत्र में जितना इजाफा हुआ है, वो राष्ट्रीय और वैश्विक लक्ष्य से कम है
जब मुर्मू ने समझा था आदिवासियों का मर्म
आदिवासियों की जमीन से जुड़े कानूनों को कमजोर करने के दौर में द्रौपदी मुर्मू इस वंचित समुदाय की संरक्षक के तौर पर उभरी हैं