पंचायती राज के शेष अर्थ
पंचायतों और ग्राम सभाओं की लगभग आधी आबादी अपने उपेक्षित अधिकारों के अंधेरों में अब भी असहाय है
महिलाओं के भूमि अधिकारों का अधूरा अध्याय
खेती-बाड़ी के अधिकांश काम करने के बावज़ूद महिलाओं को भी 'किसान' होने का वैधानिक अहसास, आख़िर कब और किसकी बदौलत होगा?
आदिवासियों के सवालों पर चुप्पी क्यों?
पूरी दुनिया में मूलवासियों/आदिवासियों की कुल जनसंख्या लगभग 48 करोड़ है, जिसका लगभग 22 फीसदी आदिवासी समाज भारत देश में रहता है
गरीबी रेखा की दूसरी पीढ़ी
भारत में सातवें दशक से 'गरीबी रेखा' पर शोध, बहस, नीतियां, कायदों, वायदों और घोषणाओं का अंतहीन अध्याय शुरू हुआ
विभिन्न इलाकों में फंसे हैं मध्यप्रदेश के प्रवासी खेतिहर मजदूर
एकता परिषद द्वारा कराया गया सर्वेक्षण बताता है कि लगभग 98 फीसदी मजदूर किसी भी तरह अपने घर वापस पहुंचना चाहते हैं
महामारी के बाद कैसा होगा कल का 'नया' सामान्य
महामारी के समाप्त होने की अप्रत्याशित लंबी प्रतीक्षा से उकताई दुनिया में एक नयी विचारधारा पनप रही है कि – आखिर, कल का "नया ...
कोविड-19 महामारी में आदिवासियों की अकाल मृत्यु के लिए दोषी कौन?
स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के नाम पर आबंटित राशि के अनुपात में एक-चौथाई लाभ भी आदिवासियों तक नहीं पहुँच पाया
ऐतिहासिक अन्याय और वनाधिकार कानून
वनाधिकार कानून लागू करते हुये भारत सरकार की यह स्वीकारोक्ति कि यह कानून 'ऐतिहासिक अन्याय' को समाप्त करने में मील का पत्थर साबित होगा ...
वन विभाग बनाम वनाधिकार कानून
भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 28 जून 2022 को जारी नया फरमान, आदिवासियों और वनाश्रितों के विरुद्ध ऐतिहासिक अन्याय करने वाले ...
पंचायती राज: भावना और संभावना के मध्य
वर्ष 1992 में 73 वें संविधान संशोधन के माध्यम से लागू किया गया पंचायती राज कानून, वास्तव में भारत के सभी और सही अर्थों ...
असम बाढ़: क्यों सरकार पर भरोसा नहीं करते आपदा पीड़ित
इस वक्त असम के 17 जिले बाढ़ से लबालब हैं, जिससे लगभग 7 लाख लोग सीधे प्रभावित हुए हैं
एक और बरस बीत जाने का अर्थ
आजादी के अमृत महोत्सव में भारत के 56 प्रतिशत भूमिहीनों को अपनी जमीन और अपनी जमीर का सरकारी अवदान नहीं बल्कि स्वाभिमानपूर्वक अधिकार चाहिए
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष: महिला कृषि श्रमिकों के अधूरे अधिकार
महिला कृषि श्रमिकों की मजदूरी और न्यूनतम आय का मसला कभी भी कृषि सुधारों की मुख्यधारा का प्रासंगिक पक्ष नहीं बन पाया।
भुखमरी की त्रासदी और सरकारी समाधान
कुछ सवालों के जवाब नहीं मिल रहे हैं, जैसे कि 19 करोड़ लोगों को भूख मुक्त कब किया जा सकेगा और क्या 56 प्रतिशत ...
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की जरूरत ही क्यों पड़ी?
गरीब कल्याण अन्न योजना: सरकार दावा करती रही है कि देश में गरीबी कम हो रही है तो फिर 80 करोड़ गरीब कहां से ...
विशेष पिछड़ी जनजातियां : अस्तित्व और अधिकारों के अनुत्तरित सवाल
विशेष पिछड़ी जनजातियों के पर्यावास क्षेत्र के अधिकारों पर भारत सरकार के जनजातीय मामलों के मंत्रालय सहित अधिकांश राज्य सरकारें तक मौन हैं
कोरोना महामारी और भारतीय कृषि का संक्रमणकाल
आज भारत का किसान अनुदानों की भीख नहीं बल्कि आत्मसम्मान के मूल्यों के लिये संघर्ष कर रहा है
कोयला उत्खनन का अर्धसत्य
कोयला उत्खनन से उस क्षेत्र का क्या हाल होता है? कोरबा के उदाहरण से समझिए, जहां वर्ष 1951 में कोयले का उत्खनन शुरू हुआ
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना: कहां हुई चूक?
40 करोड़ युवाओं के कौशल में विकास का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना की शुरुआत हुई थी, लेकिन...
ऊर्जा उत्पादन के अर्धसत्य
कोयले की खातिर 2.94 लाख हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है, लेकिन इन जंगल-जमीन से आजीविका व अधिकार गवां चुके लोगों को ...
किसके लिए किया जाता है पर्यावरण प्रभाव का आकलन
क्या समाज को मालूम है कि जिन आदिवासियों के पुरखों की जमीनें खोदकर कोयला निकाला गया, जिनकी बस्तियां नेस्तनाबूद कर दी गई, आखिर वो ...
किसकी रक्षा कर रहे हैं वन कानून और विभाग?
156 साल से अंग्रेजों की रीतियों-नीतियों को ढो रहे वन विभाग से कई सवाल तो पूछने ही चाहिए