ब्लॉग : आदिवासियों के अधिकार और अस्मिता के अनुत्तरित अध्याय
यह संयोग नहीं है कि अमरीका के मिसिसिपी के तटों के ‘इंडियन’ से सुदूर भारत के पूर्वी गोलार्ध में रहने वाले ‘आदिवासियों’ की जिंदगी ...
आदिवासी सृजन का सनातन संसार
समूचे आदिवासी समाज से उसका सर्वस्व छीनने का जो इतिहास शुरू हुआ, उसने दुनिया के प्रथम समाज को सदा सर्वदा के लिये दूसरे दर्ज़े ...
भोजन-पानी के बिना कितने दिन तक संयमित रहते मजदूर?
एकता परिषद द्वारा 20 राज्यों में किए गए सर्वेक्षण में पता चला कि मजदूरों के पास 4 से 5 दिन का ही भोजन था ...
कोरोना महामारी और शराब पर आधारित अर्थव्यवस्था
सड़कों पर दम तोड़ते श्रमिकों का इलाज पानी और भोजन है - यह समझने के लिए शराब के नशे मे डूबे समाज और सरकारों ...
महामहिम के नाम आदिवासी समाज का एक खुला पत्र
आदिवासी समाज के बीच रह कर काम कर रहे संगठन एकता परिषद के राष्ट्रीय महासचिव रमेश शर्मा नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम एक ...
काश! न्याय की रक्षा स्वयं सरकारें करतीं...
सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवासी श्रमिकों को 15 दिन भीतर उनके घर भेजने और उनके खिलाफ मुकदमों पर विचार करने को कहा है
किसके पास हैं आदिवासियों के इन सवालों के जवाब
पूरी दुनिया में आदिवासियों की कुल आबादी लगभग 48 करोड़ है, जिसका लगभग 22 फीसदी आदिवासी समाज भारत में रहता है
आत्मनिर्भरता के अर्थ और अनर्थ
आत्मनिर्भरता के लिए अनिवार्य है कि किसानों और मजदूरों को पहले आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया जाए
विश्व श्रमिक दिवस : श्रम और श्रमिक अधिकारों की प्रतीक्षा में तीसरी पीढ़ी
आज 178 बरस बाद भी समाज और सरकार, दावे के साथ नहीं कह सकती कि भारत में बंधुआ मज़दूरी अथवा वैसी परिस्थितियां समाप्त हो ...
नए श्रम कानूनों के नए अर्थ!
कोविड महामारी के बहाने उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात ने श्रम कानूनों में छूट दी है, लेकिन इसके मायने क्या हैं?
मणिपुर डायरी : हिंसा की वजह तलाशता एक लेख
मणिपुर में प्रशासनिक नाकामी और राजनैतिक विश्वासघातों का परिणाम रहा कि सात दशकों में भूमिहीनता बढ़ते-बढ़ते लगभग 71 प्रतिशत हो गई
खानाबदोश: कल के विरुद्ध खड़ा बेपनाह समाज
वर्ष 2011 में 46,73,034 जातियों-उपजातियों को तो चिन्हित किया गया, लेकिन लाखों खानाबदोश, तब भी इन सामाजिक वर्गीकरणों में भूले-बिसरे ही रह गये
मानसिक तनाव से ग्रस्त हो रहे हैं प्रवासी मजदूर
महामारी और लॉकडाउन से उपजी 'असुरक्षा' ने अप्रवासी मजदूरों को डरा दिया है
क्या बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबरी का अधिकार देने के लिए समाज और सरकार तैयार है?
11 अगस्त 2020 को सर्वोच्च न्यायालय नें हिन्दू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून 2005 की पुनर्व्याख्या कर समाज के मानस को जिलाने का प्रयास किया है
न समाज और न सरकार देना चाहती है महिलाओं को अधिकार
156 मुल्क़ों के लगभग 35500 निर्वाचित सांसदों में केवल 26 फ़ीसदी महिला प्रतिनिधि हैं। भारत में पहली बार 14 फ़ीसदी महिला सांसद निर्वाचित हुए
महात्मा गांधी की नैतिक-राजनैतिक विरासत
महात्मा गांधी का कथित 7 लाख से अधिक स्वशासी, स्वाधीन और स्वावलंबी गावों का परिसंघ (अर्थात भारत) आज शनैः शनैः अधिकार विहीन और अस्तित्व ...
स्वामित्व योजना: क्या दो गज जमीन के लिए संघर्ष होगा खत्म?
ग्रामीण भारत में रहने वाली लगभग 56 फीसदी आबादी आवासहीन या भूमिहीन है
गरीब कल्याण योजना: विकास के सवाल और योजनाओं का मानसून
गरीब कल्याण योजना तभी प्रासंगिक हो सकती है जब आजीविका के लिए उनके जल, जंगल और जमीन जैसे संसाधनों पर उनका अधिकार हो
ग्रामीण विकास का अर्धसत्य
गावों से उम्मीदों की गठरी बांधे जिन लाखों वंचितों ने शहरों को अपना अस्थायी आशियाना बनाया, एक महामारी की आशंका ने उसकी वास्तविकता को ...
आदिवासी इतिहास का नया अध्याय
भारत शायद विश्व के उन चुनिंदा देशों में है जहां जंगल-जमीन की स्वाधीनता और स्वायत्तता के सफल आंदोलनों का इतिहास - अकादमिक अथवा शैक्षणिक ...
अपनी जन्मभूमि में 'अपराधी' बन कर रह रहे हैं आदिवासी
आदिवासी कहते हैं कि धीरे-धीरे हमें विश्वास होता गया कि अपनी चुनी हुई सरकार और सरकार की चुनी हुई कंपनी में कोई भी अब ...
जोशीमठ धंसाव के बाद राष्ट्रीय आपदा कानून पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?
क्या मौजूदा आपदा प्रबंधन कानून और उसके 18 बरस पुराने प्रावधान, वर्तमान और भावी आपदाओं के मद्देनजर पर्याप्त हैं?
आदिवासियों पर ऐतिहासिक अन्यायों के अर्थ और अनर्थ
विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर भारत में आदिवासियों के साथ हो रहे अन्याय पर विशेष आलेख
आदिवासियों के सवालों पर चुप्पी क्यों?
पूरी दुनिया में मूलवासियों/आदिवासियों की कुल जनसंख्या लगभग 48 करोड़ है, जिसका लगभग 22 फीसदी आदिवासी समाज भारत देश में रहता है
तीसरी पीढ़ी का मजदूर दिवस
भारत सहित दुनिया भर में पहली बार मजदूर दिवस, घोषित ‘महामारी और तालाबंदी' के दौरान मनाया जा रहा है