भारत में वापस लौटी सामूहिक गरीबी
दुनिया में सबसे तेजी से गरीबी कम करने वाले भारत में 45 साल के बाद एक साल में सबसे ज्यादा गरीब बढ़े
भारत क्यों है गरीब-3: समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों के बीच रहने वाले ही गरीब
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गरीबी उन्हीं इलाकों में ज्यादा है, जहां प्राकृतिक संपदा प्रचुर मात्रा में है। इन लोगों की क्षमता इतनी भी नहीं ...
Farmers stare at another loss despite good rains. They need a boost from govt
Indian farmers have accumulated huge debts due to crop damages and less remunerative price for produce
मूल विज्ञान को अनाथ होने से बचाने की चुनौती!
तकनीक प्रदर्शनी के युग में मौलिक विज्ञान को बचाने की चुनौती भारत के सामने अधिक है, राजनीतिक नेतृत्व को इसे स्वीकारना चाहिए
हंसी के पात्र भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन
लगातार दो शासन काल में जिस पैमाने पर जनता के पैसों की लूट हुई है, उसने भ्रष्टाचार विरोधी मुहिमों को असफल साबित कर दिया ...
Point of no agri-returns Part 1: How India lost its historic agriculture recovery growth phase in just four years
Government reports say 2004-14 had the highest agriculture growth that has fast slipped back to near-zero growth despite normal monsoons and …
Modi and `mass movement'
As Narendra Modi's regime enters its mid-term, it is time to assess: has he turned governance into a mass movement?
Making sense of `Make in India'
Manufacturing needs to get a boost. But what to manufacture and how are two critical questions
जल व स्वच्छता पर 1.42 लाख करोड़ रुपए खर्च करेंगी पंचायतें
वित्त आयोग ने पंचायतों को अपने खर्च का 60 फीसदी जल व स्वच्छता पर खर्च करने का सुझाव दिया
पड़ताल: किसानों के लिए सरकार और बाजार दोनों जरूरी
तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान आखिर सरकारी सहायता को जारी रखने की मांग क्यों कर रहे हैं, पड़ताल करती रिपोर्ट की ...
बधाई हो! आखिरकार कृषि भारत में राजनीतिक एजेंडा बन ही गया
दिल्ली बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्रिसमस के दिन सांता क्लॉस बने। किसानों के लिए फंड का आवंटन किया और ...
COVID-19 cut carbon emissions but not enough to dent global warming
The lockdown-related fall in emissions is just a tiny blip on the long-term graph. We need a sustained flattening of the curve - WMO …
नए युग में धरती: नष्ट हो चुका है प्रकृति का मूल चरित्र
क्या वह समय आ गया है कि हम विकास की इस अंधी दौड़ से निकलकर अपनी आकांक्षाओं पर लगाम लगाएं और संवहनीय जीवन जिएं?
नए युग में धरती : कहानी हमारे अत्याचारों की
मौजूदा समय को भले ही हम कलयुग का नाम दें लेकिन वैज्ञानिक भाषा में इसे मानव युग यानी एंथ्रोपोसीन कहा जा रहा है। यह ...
वंचितों की पूरी पीढ़ी तैयार कर चुकी है महामारी
नवजात, जल्द पैदा होने वाले और पांच साल तक के बच्चे महामारी से बचने के बाद भी इसके असर से बच नहीं पाएंगे
India’s agrarian distress: Is farming a dying occupation
Farmers across the globe are quitting their business, while the rural youth population is increasing. Who will grow our food?
खास खबर: प्राकृतिक आपदाओं के चलते खतरे में पड़ी खेती
ऐसे समय में जब एक औसत भारतीय परिवार अपनी कमाई का लगभग 50 प्रतिशत और गरीब 60 प्रतिशत से अधिक भोजना पर खर्च करते ...
15 प्रतिशत बड़े किसानों के पास 91 प्रतिशत आय
किसानों में आय की असमानता कृषि संकट में वृद्धि कर रही है। यह असमानता अर्थव्यवस्था के दूसरे सेक्टरों के मुकाबले अधिक है
संसद में 33 प्रतिशत महिलाओं की उपस्थिति 55 साल में होगी
महिला मतदाताओं की बढ़ती संख्या के बावजूद विधानसभाओं में उनकी उपस्थिति बमुश्किल 7 से 8 प्रतिशत है। जबकि संसद में उनकी मौजूदगी महज 11 ...
आर्थिक सर्वेक्षण: देश में घट रही है प्रजनन दर, जनसंख्या वृद्धि दर में होगी गिरावट
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि आने वाले सालों नौ राज्यों में प्रतिस्थापन दर के मुकाबले प्रजनन दर कम हो जाएगी
परागणकारी जीवों की कमी के बावजूद वैश्विक अनाज उत्पादन में बढ़ोत्तरी
वैश्विक संस्था आईपीबीईएस की ड्राफ्ट रिपोर्ट के मुताबिक बीते 50 वर्षों में परागण पर निर्भर रहने वाली वैश्विक फसलों में 300 फीसदी की बढोत्तरी हुई ...
Economic Survey 2022-23: Special mention of women Self-Help Groups; will it translate to largesse
While commercial banks waive off loans to stay healthy, the women-led world’s largest microfinance operation thrives on near 100% repayment,…
India’s poverty: There is no end to Surjit Bhalla’s imagination
The IMF executive director has just declared that India was nearly free of extreme poverty in 2020 and inequality was lowest in 40 years due to …
पहला पेशा, अंतिम मौका
करीब 120 वर्षों से कृषि शिक्षा के जरिए भारत की खेती-किसानी को समृद्ध और किसानों को खुशहाल बनाने का दावा किया जा रहा है। ...
क्या हमारे बजट में जन भागीदारी है?
बजट में जन भागीदारी बढ़ाने की सरकारी कोशिशें क्या वाकई कारगर हैं या ये महज औपचारिकता मात्र हैं?