Tax avoided by corporate groups can eradicate global poverty
As economic slowdown murmur becomes loud across the world, the debate over income inequality gains volume
India’s non-agrarian rural economy struggles for sustenance
Farmers and farm labourers, who want to quit agriculture, are stuck in the non-remunerative work since other sectors are not generating jobs at …
From village pradhans to Pradhan Mantri: Devolve power and invest political will
PM Narendra Modi’s letters to panchayat heads to conserve water revives the inevitability of local government in water management. But the …
Why farmers now dread a normal monsoon
No major agrarian reform has happened in the 50 years since the Green Revolution. A normal monsoon cannot be assumed as the only incentive for …
असाधारण विविधता के कारण भारत में धर्म और राष्ट्रवाद दोनों लाचार: रुचिर
अर्थशास्त्री और राजनीतिक विश्लेषक रुचिर शर्मा ने पिछले 25 वर्षों में मतदान के तरीके, सामाजिक परिदृश्य और चुनाव की बारीकियों को जानने के लिए ...
कोविड-19 महामारी से त्रस्त साल में बढ़ी अरबपतियों की संख्या
2008 की आर्थिक मंदी के बाद यह स्पष्ट हो चुका है कि केवल अमीर ही और अमीर बनेंगे, बजाय इसके कि गरीब अमीर बनेंगे ...
उल्टी गिनती शुरू
राज्यों में इस साल और लोकसभा के अगले साल होने वाले चुनाव में किसानों के मुद्दे अहम भूमिका निभाएंगे।
सरकार अपनी छवि चमकाने के लिए आंकड़ों से क्यों खेल रही है?
जहां एक तरफ आंकड़ों को जारी होने से रोका जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सरकारी संवाद आंकड़ों पर आधारित हो रहा है
ग्रामसभा को चाहिए असली ‘विकास’
पंचायती राज के तीस साल पूरे होने पर ग्राम सभाओं का उत्थान, स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्था के जवाबदेह होने की उम्मीद जगाता है।
यह संभावित स्टैगफ्लेशन यानी उच्च मुद्रास्फीति और अर्थव्यवस्था में ठहराव है
विश्व बैंक का अनुमान है कि 2022 में वैश्विक विकास दर घटकर 2.9 फीसदी रह जाएगी, जो 2021 में 5.7 प्रतिशत थी, जबकि विकासशील ...
Good while it lasted - IV: Anthropocene epoch & mass extinction
Humans will be the first to have a new geological epoch named after the species — an unfortunate event denotative of our irreversible …
एक ऐसा गांव जिसमें इमली के पेड़ों से आंकी जाती है जीडीपी
जब प्रमुख खाद्य अनाज सस्ता हो रहा है, तो जंगलों के किनारे बसने वाले इस गांव में खेती से इतर, इमली के पेड़ अर्थव्यवस्था ...
बजट 2022-23: भविष्य की आधारशिला कितनी मजबूत?
केंद्रीय बजट 2022-23 में मौजूदा साल तक निर्धारित विकास लक्ष्यों पर बात नहीं की गई, लेकिन देश को 2047 तक एक नई यात्रा पर ...
कोविड 19: वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं और जनस्वास्थ्य पर अभूतपूर्व संकट
महामारी के वक्र को समतल करने का अर्थ आर्थिक शिथिलता भी है। एक असमान विश्व में इसका सबसे ज्यादा बोझ कौन उठाएगा?
At 25, Panchayati Raj has become a powerful development instrument
Panchayats have become a kind of systematic investment plan for political parties to deepen their influence
कोरोना महामारी लोगों की बेतहाशा मौत के रूप में ले सकती है बड़ी कीमत
इसकी भविष्यवाणी भी की गई थी, लेकिन हमने कभी नहीं माना कि संपन्न दुनिया में एक ढहती हुई संरचना हम सभी को अपना शिकार ...
सूखे का दंश: सामान्य मॉनसून सूखे से बचने की गारंटी नहीं
सूखा एक स्थायी आपदा है जो हर साल 5 करोड़ भारतीयों को प्रभावित करता है। देश का 33 प्रतिशत हिस्सा लंबे समय से सूखे ...
COVID-19: A long economic quarantine
Forecast of high temperature, erratic rains and cyclone push India’s poor into a point of no survival return
Amrit Kaal vs New India: Why do we buy metaphysical political agenda in deep economic distress
India has not met any of the targets fixed for 2022; But ‘Amrit Kaal’ has now become the government’s vision for …
क्या भारत फिर कृषि प्रधान बनेगा?
खरीफ का मौजूदा रकबा उम्मीद जगाता है क्योंकि कोविड काल में अधिक से अधिक किसान खेती की ओर लौट रहे हैं
क्या कोविड-19 पर काबू पाया जा सकता है?
दुनिया भर में कोरोनावायरस की वजह से 40 करोड़ से ज्यादा लोग एक दूसरे से दूर आइसोलेशन में रह रहे हैं
Changing weather will affect living standards of half of India's population
2018 was the sixth-warmest and had the sixth-lowest monsoon in the last 117 years, says IMD
क्यों है दुनिया को पलायन के एक और नई लहर की जरूरत ?
प्रवासी निकट भविष्य में विकसित देशों की अर्थव्यवस्था को बनाए रखेंगे क्योंकि उनकी कामकाजी आबादी रिकॉर्ड स्तर पर कम हो गई है।
विश्लेषण: खाद्य प्रणाली में सुधार से किसे पहुंचेगा फायदा?
23 सितंबर को आयोजित यूएन फूड सिस्टम्स समिट का उद्देश्य फंडिंग में कटौती किए बिना, इस सेक्टर से होने वाले भारी उत्सर्जन को कम ...
रहिमन पानी राखिए
सूखे के निपटने के लिए 150 वर्षों के अनुभव के बाद भी भारत इस दिशा में कारगर कदम क्यों नहीं उठा पाया है?