Why 2023 may be an annus horribilis for India’s farmers
A dry winter, arrival of El Nino and two years without earnings make this year terrible for Indian farmers
भारत में गरीबों की गिनती बंद, 2030 तक दुनिया कैसे हासिल करेगी शून्य गरीबी लक्ष्य
गरीबी पर केंद्रित विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट में भारत में गरीबी के आंकड़ों के गायब होने की बात कही है, ऐसे में दुनिया ...
आरके पचौरी: एक पर्यावरण वैज्ञानिक ने क्यों कहा था कि भारत को कार्बन उत्सर्जन का अधिकार है
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था इंटरगर्वमेंटल पैनल ऑफ क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के पूर्व प्रमुख का 79 वर्ष की उम्र में निधन हो ...
क्या प्याज और खाद्य मुद्रास्फीति में कोई संबंध है, पांच प्वाइंट्स में समझिए
खाने-पीने की चीजों की कीमतें बढ़ने के कारण महंगाई दर दोहरे अंक को पार कर चुकी है, लेकिन क्या ऐसा है?
खेती-किसानी को लील जाएंगे शहर, तीन साल बाद सामने आएंगे आंकड़े
जनगणना 2021 के आंकड़े तीन साल बाद सामने आ जाएंगे, जो संकेत मिल रहे हेैं, उससे लगता है कि ग्रामीण भारत लगभग पूरी तरह ...
वर्तमान आर्थिक मॉडल से बढ़ गई असमानता, भारत बना उदाहरण
विश्व में गैर बराबरी का स्तर वही है जो 200 साल पहले था। लोकतांत्रिक ढांचे ने इसे पाटने में विशेष भूमिका नहीं निभाई है
कॉप-26: सौ महीने से कम समय बाकी, इन वजहों से हो सकती है नतीजे मिलने में दिक्कत
भारत ने कोयले और जीवाश्म ईंधन सब्सिडी के मसौदे को ‘फेज आउट’ की बजाय हल्के और अपरिभाषित ‘फेज डाउन’ में डालने का दबाव डाला
How COVID-19 changed the crime profile of India in 2020
Cases of ‘disobedience’ or violation of COVID-19 norms increased by over 20 times in just a year; without it, overall crime was lower …
खाद्य प्रणाली शिखर सम्मेलन: किसानों को समर्थन देने से सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करना मुश्किल
संयुक्त राष्ट्र ने किसानों के समर्थन से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचने के लिए मूल्य कटौती और लक्ष्यों को पुनः तय करने ...
मानसून 2021: क्या पूर्वोत्तर और उत्तर-पश्चिमी भारत में भीषण सूखे का समय आ गया है?
अगस्त के अंत तक 10 केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों में मानसूनी वर्षा में 23 से 52 प्रतिशत की कमी थी। इनमें से अधिकांश ...
10 लाख प्रजातियों पर खतरा, इंसान है जिम्मेवार : रिपोर्ट
जैव-विविधता और पारिस्थितिकी सेवाओं के अंतर सरकारी विज्ञान नीति मंच (आईपीबीईएस) ने अपनी वैश्विक आकलन रिपोर्ट जारी कर दी है, जो काफी डराने वाली ...
ऑटोमेशन कौशल खत्म करेगा, इंसानी हस्तक्षेप जरूरी : आईएलओ
ग्लोबल कमीशन ऑन द फ्यूचर ऑफ वर्क का कहना है कि ऑटोमेशन और अन्य तकनीक कम दक्ष लोगों को काम से बेदखल कर देंगी
Will this be the fourth consecutive warm winter?
Longer monsoon spell, warm winter lengthen mosquito-borne disease outbreaks across India
आधे से ज्यादा आदिवासियों ने घर छोड़ा
आदिवासी खेती से मुंह मोड़ रहे हैं। हर दूसरा आदिवासी परिवार असंगठित क्षेत्र में मजदूरी कर गुजर-बसर को मजबूर है
More than 50% of India’s tribal population has moved out of traditional habitats
Tribals are quitting farming fast; every second household now survives on manual labour in an informal economy
जलवायु परिवर्तन के दौर में पशुचारण और पशुचारकों की स्थिति
संयुक्त राष्ट्र के कृषि एवं खाद्य संगठन (एफएओ) ने पशुचारकों की स्थिति में सुधार के लिए एक अपील जारी की है
भूख से होने वाली मौतों को स्वीकार क्यों नहीं करते 'हम'
सरकार पहले तो मौत को भूख के बजाय किसी दूसरी तकनीकी वजह से बताती है, बाद में भूख से लड़ने के लिए चलाई जा ...
8 years and Rs 228 crore later, Maharashtra fails to make even one village sustainable
The state’s scheme, aimed at creating environmentally sustainable villages, saw only up to 6% funds being used for green projects
Why India's poor laugh at anti-corruption campaigns
Indian anti-corruption drives don't factor in the poor, the worst victims of the scourge
India needs 30,000 agri-markets to give fair deal to farmers
For 47 years, government has not acted on recommendation of upgrading rural markets into business hubs
1 करोड़ नौकरियों का वादा किसका था?
एनडीए सरकार ने 2001 में यह वादा किया था लेकिन अब वर्तमान सरकार भी नौकरियां सुरक्षित न कर पाने की वही गलती दोहरा रही ...
NITI Aayog wants to hand over micro irrigation to private players
The government policy think tank believes it would take 100 years to exploit the micro irrigation potential with the current programme target and …
COVID-19: An extreme disorder
Flattening the epidemiological curve also means an economic cessation. Who will bear the burden most in an unequal world?
Growth in agriculture is not remunerative to Indian farmers
Exceptional growth in agriculture and acreage in kharif season precipitate a crisis like never before for farmers
ग्राउंड रिपोर्ट: हर पेड़ की कटाई के साथ ही गरीब हो जाते हैं बस्तर के आदिवासी
आधुनिक विकास के जख्म देखने हों तो बस्तर के आदिवासी बहुल क्षेत्र के किसी भी गांव में चले जाइए, हालांकि इसके लिए आपको सुरक्षा ...