Human empathy is our politics
This year, Down To Earth turns 31 years old. We have promises to keep. And keep them we will
आर्थिक वृद्धि के मॉडल में करने होंगे बदलाव
हमने ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को कम से कम घटाने के लिए स्मार्ट तरीके खोजने में बेहद कीमती समय गंवा दिया
Water-wisdom for climate change: We must become much more efficient with every drop
The country has learnt critical water lessons through the years — now is the time to put it to practice
रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजे ऊर्जा संकट से सबक लेने की जरूरत
वर्तमान ऊर्जा संकट हमें जीवाश्म ईंधन व्यवसाय की ओर वापस ले जा सकता है, जिसे वातावरण में उत्सर्जन और पृथ्वी पर जीवन को खतरे ...
Missing: One-third of India’s recorded forests
25.87 million hectares: That is the size of forest missing from the latest assessment of India’s green cover. Does this land exist? Is it …
कचरे के प्रति व्यवहार में बदलाव लाना जरूरी
पिछले कुछ सालों में देश में कूड़ा प्रबंधन की रणनीति में तेजी से बदलाव हुआ है, लेकिन अब लोगों को अपने व्यवहार में बदलाव ...
विश्व पर्यावरण दिवस 2021: महामारी में पर्यावरण की फिक्र
कोविड-19 वैश्विक महामारी के इस भयावह दौर में विश्व पर्यावरण दिवस की तार्किकता बयान करता सुनीता नारायण का आलेख
जलवायु परिवर्तन: संकट को नकारने की गुंजाइश खत्म
अब समय आ चुका है जब हम अपने पूर्वाग्रहों से बाहर निकलें और कुछ न करने के बहाने ढूंढना बंद करें
शासन मायने रखता है : कोविड-19 महामारी ने यही दिखाया
भारत के लिए वायरस नहीं बल्कि यह सच्चाई एक शर्मिंदगी की वजह है कि हम सामान्य समय में भी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए ...
Men in black
Carbon market has the potential to unlock billions of dollars for countries in the Global South. But is this voluntary carbon market working for …
एंटीबायोटिक्स के बेजा इस्तेमाल से तिहरे खतरे की ओर बढ़ रही है दुनिया
अत्यधिक या दुरुपयोग के कारण एंटीबायोटिक दवाएं अब बेअसर साबित हो रही हैं, दूूसरे दवा कंपनियां भी नई एंटीबायोटिक दवाएं नहीं बना रही हैं
स्टॉकहोम सिंड्रोम: 50 साल का जश्न मनाते वक्त विचार करना जरूरी
स्टॉकहोम सम्मेलन की 50वीं वर्षगांठ का उत्सव हमारे साझे भविष्य के बारे में होना चाहिए, अतीत के विभाजनों पर नहीं
प्रकृति के साथ शांति से नहीं रह रहे हम
अगर हम धरती के साथ उसी बेवफूकी से पेश आते रहे तो इस साल भी कुछ नया नहीं होने वाला, सुनीता नारायण का आलेख
चमोली आपदा: भूल, गलती और सबक
असल मुद्दा हिमालय के नाजुक क्षेत्र की वहन क्षमता जो जलवायु परिवर्तन के कारण और भी अधिक दबाव में है
किसानों को बस समर्थन चाहिए
समय आ गया है कि हम अपने खाने की वास्तविक कीमत पर बात करें,जो हमारे लिए अनाज पैदा करने वाले किसानों के लिए लाभकारी ...
Do not just single out coal
Why should countries of the western world, which have already appropriated the giant share of the carbon budget, be given a free pass on the …
Budget 2023-24: Marks of a circular economy
Budget 2023-24 provides clear shifts in programme direction that need to be applauded. The real test will be our ability to operationalise those …
सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध कितना होगा सफल?
प्लास्टिक की ऐसी चीजें, जिन्हें इकट्ठा करना मुश्किल है, या जिन्हें रीसाइकिल नहीं किया जा सकता, उनका इस्तेमाल बंद किया जाना चाहिए। मौजूदा प्रतिबंध ...
भारत के नए जलवायु लक्ष्य: साहसिक, महत्वाकांक्षी और दुनिया के लिए चुनौतीपूर्ण
पहले से ही कम उत्सर्जक होने के बावजूद भारत ने जलवायु परिवर्तन से लड़ने की जो प्रतिबद्धता जताई है, उसने बड़े उत्सर्जकों खासकर चीन ...
कोविड-19 और जलवायु परिवर्तन जितना विनाशकारी है रोगाणुरोधी प्रतिरोध
रोगाणुरोधी प्रतिरोध यानी एंटी-माइक्रोबियल रेजिस्टेंस, एएमआर को एक खामोश महामारी बताता सुनीता नारायण का आलेख-
Stockholm+50: How do we prepare for the next half century
When we mark the 50th anniversary of the 1972 Stockholm conference, we need to discuss consumption and production in a globalised world
खाद्य प्रणालियों को फिर से तैयार करना होगा
जलवायु परिवर्तन का संकट मानव निर्मित है। हम जलवायु-जोखिम वाले विश्व में कृषि के वर्तमान मॉडल के साथ आगे नहीं बढ़ सकते
केवल कोयले को दोषी ठहराना कितना उचित?
कोयले की ही तरह प्राकृतिक गैस भी एक जीवाश्म ईंधन है जो गैस उत्सर्जित करता है
Save the carbon bubble: India’s voluntary carbon market must be regulated and made to contribute to its climate goals
Governments world over continue to issue regulations to rein in the voluntary carbon market, hold it accountable for its acts and ensure sharing …
एक मरीचिका साबित हुआ कॉप-27
तीन दशक के इतिहास में कॉप-27 सम्मेलन को सबसे खराब कार्यक्रम के रूप में याद किया जाना चाहिए