Breathless silence
The inconvenient truth is that when there is a public health emergency in Delhi, only the poor are asked to sacrifice
Human empathy is our politics
This year, Down To Earth turns 31 years old. We have promises to keep. And keep them we will
आर्थिक वृद्धि के मॉडल में करने होंगे बदलाव
हमने ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को कम से कम घटाने के लिए स्मार्ट तरीके खोजने में बेहद कीमती समय गंवा दिया
Water-wisdom for climate change: We must become much more efficient with every drop
The country has learnt critical water lessons through the years — now is the time to put it to practice
रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजे ऊर्जा संकट से सबक लेने की जरूरत
वर्तमान ऊर्जा संकट हमें जीवाश्म ईंधन व्यवसाय की ओर वापस ले जा सकता है, जिसे वातावरण में उत्सर्जन और पृथ्वी पर जीवन को खतरे ...
Missing: One-third of India’s recorded forests
25.87 million hectares: That is the size of forest missing from the latest assessment of India’s green cover. Does this land exist? Is it …
कचरे के प्रति व्यवहार में बदलाव लाना जरूरी
पिछले कुछ सालों में देश में कूड़ा प्रबंधन की रणनीति में तेजी से बदलाव हुआ है, लेकिन अब लोगों को अपने व्यवहार में बदलाव ...
विश्व पर्यावरण दिवस 2021: महामारी में पर्यावरण की फिक्र
कोविड-19 वैश्विक महामारी के इस भयावह दौर में विश्व पर्यावरण दिवस की तार्किकता बयान करता सुनीता नारायण का आलेख
दिल्ली में साफ हवा अच्छी है पर काफी नहीं!
पिछले कुछ वर्षों में काफी कुछ किया गया है, लेकिन नाकाफी है। दिल्ली में पूरी तरह से स्वच्छ ईंधन मसलन गैस या बिजली की ...
Environmental charter for the new government
Sustainable development, pollution, employment generation and agrarian crisis did not play major roles in deciding the outcome of the 2019 …
My clean air concerns
The bottomline is even with the region practically closed down, air quality is still nowhere close to where we need it to be. This should worry …
जलवायु परिवर्तन: संकट को नकारने की गुंजाइश खत्म
अब समय आ चुका है जब हम अपने पूर्वाग्रहों से बाहर निकलें और कुछ न करने के बहाने ढूंढना बंद करें
शासन मायने रखता है : कोविड-19 महामारी ने यही दिखाया
भारत के लिए वायरस नहीं बल्कि यह सच्चाई एक शर्मिंदगी की वजह है कि हम सामान्य समय में भी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए ...
Delhi and the winter air: Hold your breath, it’s still unsafe
The rush of traffic is a key cause of air pollution — let's not lose sight of this. Dust exacerbates the problem, but&…
Last straw to stubble burning
Straw can be converted into fuel for use in vehicles. It can also replace coal in old power plants, reducing …
पर्यावरण की चुनौती से संकट तो बढ़ा, लेकिन समावेश का अवसर भी मिला
सेंटर फॉर साइंस एनवायरमेंट (सीएसई) को 2018 को इंदिरा शांति पुरस्कार दिया गया। इस मौके पर सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण द्वारा दिया गया ...
हर बूंद मायने रखती है
जलस्रोतों को कानूनी संरक्षण की जरूरत है ताकि वर्षा जल को संचय किया जा सके। ज्यादातर राज्य दावा करते हैं कि उन्होंने कारगर कदम ...
Men in black
Carbon market has the potential to unlock billions of dollars for countries in the Global South. But is this voluntary carbon market working for …
एंटीबायोटिक्स के बेजा इस्तेमाल से तिहरे खतरे की ओर बढ़ रही है दुनिया
अत्यधिक या दुरुपयोग के कारण एंटीबायोटिक दवाएं अब बेअसर साबित हो रही हैं, दूूसरे दवा कंपनियां भी नई एंटीबायोटिक दवाएं नहीं बना रही हैं
स्टॉकहोम सिंड्रोम: 50 साल का जश्न मनाते वक्त विचार करना जरूरी
स्टॉकहोम सम्मेलन की 50वीं वर्षगांठ का उत्सव हमारे साझे भविष्य के बारे में होना चाहिए, अतीत के विभाजनों पर नहीं
प्रकृति के साथ शांति से नहीं रह रहे हम
अगर हम धरती के साथ उसी बेवफूकी से पेश आते रहे तो इस साल भी कुछ नया नहीं होने वाला, सुनीता नारायण का आलेख
चमोली आपदा: भूल, गलती और सबक
असल मुद्दा हिमालय के नाजुक क्षेत्र की वहन क्षमता जो जलवायु परिवर्तन के कारण और भी अधिक दबाव में है
किसानों को बस समर्थन चाहिए
समय आ गया है कि हम अपने खाने की वास्तविक कीमत पर बात करें,जो हमारे लिए अनाज पैदा करने वाले किसानों के लिए लाभकारी ...
MGNREGA: Today and tomorrow
The programme can provide a safety net for the poor, not just in COVID-19 times, but for times to come
प्रवासी मजदूर: रोजगार एवं उत्पादन का भविष्य
यह एक अवसर है, जब हम अपनी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित कर सकते हैं और उसे ऊंचा उठा सकते हैं, लेकिन यह इतना आसान ...